भारतरत्न नंदा के नाम से श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय का नाम रखना जरूरी है : कृष्ण राज अरुण

गुलज़ारी लाल नंदा जी का धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के प्रति विशेष लगाव रहा।
कुरुक्षेत्र कर्मभूमि थी नंदा जी की।
कुरुक्षेत्र के तीर्थों का जीर्णोद्वार नंदा जी की देन।
कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 23 सितंबर : गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन के चेयरमेन एवं भारतरत्न नंदा के शिष्य कृष्ण राज अरुण ने कहा कि कुरुक्षेत्र के आधुनिक विकास निर्माता भारतरत्न नंदा के नाम से श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय का नाम रखना जरूरी है। क्योंकि उन्होंने ही 1972 में नवजीवन संघ के तहत एक आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना की थी, जो बाद में श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय बना। उनके इस योगदान के सम्मान में और उनके नाम को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए यह नामकरण आवश्यक माना गया है।
गुलज़ारीलाल नंदा ने कुरुक्षेत्र में आयुर्वेदिक शिक्षा की नींव रखी थी। 1972 में नवजीवन संघ के प्रबंधन के तहत उनके द्वारा स्थापित यही कॉलेज आगे चलकर श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखकर उनके प्रयासों को सम्मान दिया जाएगा। गुलज़ारीलाल नंदा ने कुरुक्षेत्र को धर्मनगरी के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना की और ब्रह्मसरोवर सहित कई तीर्थों का जीर्णोद्धार करवाया, जिसमें श्रीकृष्ण आयुर्वेदिक महाविद्यालय भी शामिल था। इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखना कुरुक्षेत्र के प्रति उनके समग्र योगदान का सम्मान होगा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ‘श्री गुलज़ारीलाल नंदा नैतिकता, दर्शन, संग्रहालय और पुस्तकालय केंद्र’ की स्थापना उनकी गांधीवादी विचारधारा को लोगों तक पहुँचाने के लिए की गई थी। विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखना उनकी सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण को भी दर्शाएगा। नंदा की अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियाँ कुरुक्षेत्र में ही रखी जाएँ। उनके निधन के बाद, उनकी अस्थियों को कुरुक्षेत्र के नंदा स्मारक में दफनाया गया था। यह नामकरण उनके जन्मस्थान से जुड़े कुरुक्षेत्र के प्रति उनके भावनात्मक लगाव और इच्छा का प्रतीक होगा।
नंदा ने अपना जीवन मजदूरों और गरीबों के लिए समर्पित कर दिया था। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखने से समाज सेवा और निःस्वार्थ भाव के मूल्यों को भी बढ़ावा मिलेगा।
कृष्णराज अरुण।