लालगंज आजमगढ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रक्षाबंधन को सामाजिक समरसता के रूप में मनाता है

लालगंज आजमगढ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रक्षाबंधन को सामाजिक समरसता के रूप में मनाता है। बुधवार को सायँ सात बजे शहर के ओम मैरेज हॉल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, लालगंज नगर के अयोजकत्व में रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया। अध्यक्षता लालगंज के पीजी कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती शीला मिश्रा ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त कुटुंब प्रबोधन प्रमुख आदरणीय विष्णु गोयल जी का पाथेय प्राप्त हुआ।
सर्वप्रथम मुख्य वक्ता व कार्यक्रम के अध्यक्ष द्वारा परम पवित्र भगवा ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज में रक्षा का सूत्र बांधकर कार्यक्रम का शुभांरभ किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री विष्णु गोयल जी ने बताया कि ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए भगवान जिस श्रेयमार्ग को दिखाता है उस अंतर संबद्धता का महोत्सव है श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन उत्सव। सबसे श्रेष्ठ संबंध भातृत्व भाव है। हम सब एक ही माता के पुत्र हैं, इस भाव से ही एकात्म भाव प्रकट हो जाता है वहीं से परस्पर एैक्य भाव से अनन्य भाव के साथ आपस में सेवा करने का भाव अंकुरित हो जाता है।
आज हम रक्षाबंधन उत्सव को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मनाए जाने वाले छह उत्सवों के क्रम में यह चतुर्थ स्थान पर है। संपूर्ण भारत में पूरा हिंदू समाज यह पर्व अति उत्साह एवं आनंद से मनाता है। प्रमुख रूप से बहनें भाइयों को राखी बांधती है। भाई इस के उपलक्ष्य में बहनों को कुछ धन देता है। उपरोक्त परंपरा सामान्यतः समाज में प्रचलित है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिंदू समाज के इस गौरवशाली एवं भावना प्रधान पर्व को व्यक्तिगत स्तर के स्थान पर सामाजिक स्तर पर मनाने की परंपरा डाली है। स्वयंसेवक समाज के उन बंधुओं से इस पर्व पर संपर्क करते हैं, जो दुर्भाग्य से अपने समाज से बहुत दिनों से बिछड़े रहे हैं। राखी बांधते हुए वे गीत गाते हैं- संगठन सूत्र में मचल-मचल, हम आज पुनः बढ़ते जाते। मां के खंडित-मंडित मंदिर का शिलान्यास करते जाते।।
श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस रक्षाबंधन पर्व का मूल ‘रक्षा का व्रत’ लेने में है। उसी के प्रतीक के रूप में धागे के पवित्र सूत्र में परस्पर एक दूसरे को बांधने का विधान है। वैदिक मंत्र ‘ॐ सहनाववतु’ अर्थात हम दोनों परस्पर मिलकर रक्षा करें, का यही संदेश है कि समाज के सभी वर्ग, गुरु व शिष्य, मार्ग-दर्शक व साधक, पुजारी व भक्त, राजा और प्रजा, नारी व पुरुष, यजमान व पुरोहित सभी आज के दिन परस्पर के भेदभाव को भुलाकर धागे के पवित्र सूत्र में एक दूसरे को बांधकर परस्पर रक्षा करके क्षमता युक्त समरस समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभाए।
वर्तमान में हिंदू समाज भी बिखराव के कगार पर पहुंचा दिखाई देता है। एक सहस्त्र वर्ष तक विदेशी शासकों से संघर्ष करते रहने के कारण समाज रूपी शरीर का बड़ा अंग अस्पृश्य, वनवासी, गिरीवासी व अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में दीन हीन व उपेक्षित पड़ा है और शेष हिंदू समाज चेतना हीन है। उसमें अपने मन की पीड़ा को अनुभव करने की संवेदनशीलता मानो नष्ट हो गई है। इस देश में बहुत दिनों से हिंदू होना अपराध माना जाता रहा है। हिंदू हित के कार्य को संप्रदायिक कहने की परंपरा सी बन गई है। यह पतन की ओर बढ़ने का कैसा करुणा जनक दृश्य है? विवेकानंद का उदघोष “गर्व से कहो हम हिंदू है” जन जन का उदघोष बनाने के लिए हमें प्रयास करना है। हमें अपने हिन्दूपन की रक्षा भी करनी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करके उसे एकरूप बनाना है। वह उसे परम वैभव के उच्चतम शिखर पर देखना चाहता है। जिससे इसका प्राचीन गौरव उसे पुनः प्राप्त हो सके। हम संघ के स्वयंसेवक भली-भांति जानते हैं कि शरीर की एक अवयव के दुर्बल हो जाने पर संपूर्ण शरीर दुर्बल हो जाता है। अतः हिंदू समाज को सबल बनाने का कार्य समाज के दुर्बल वर्ग को सबल बनाने से प्रारंभ होता है। उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप में सारे समाज को संगठित करने का कार्य हमारे सामने है। प्रतिदिन शाखाओं के माध्यम से, उत्तम संस्कारों द्वारा एक एक व्यक्ति में निस्वार्थ राष्ट्रप्रेम की भावना जगाकर मानवता के श्रेष्ठ गुणों का विकास समस्त-समाज में करना है। इन गुणों के आधार पर, राष्ट्र शरीर में फैले हुए सभी दोषों को दूर करते हुए सर्वस्व अर्पण का भाव निर्माण करना है। इसके द्वारा ही समाज में स्वस्थ शक्ति का संचार होगा तथा हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक एकात्मता का अनुभव होगा।
अपने अध्यक्षीय आशीर्वचन में बहन श्रीमती शीला मिश्रा ने रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य पर चर्चा करते हुए कहा कि यह रक्षा सूत्र मन, वचन, कर्म की पवित्रता तथा प्रतिज्ञा का सूचक है। रक्षाबंधन का अर्थ ही होता है रक्षा के लिए बंधन। हालांकि बंधन किसी को भी प्रिय नहीं होता है। परन्तु यहां इसका अर्थ यही है कि अपनी उन असूरी प्रवृत्तियों से रक्षा के लिए मर्यादाओं के बंधन में बंधना, जिसके कारण हमें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वास्तव में यह बंधन नहीं बल्कि स्वतंत्रता है। मनुष्यात्माओं को आसुरी शक्तियों से रक्षा करने तथा दैवी शक्तियों के आह्वान करना ही इस रक्षाबंधन का उद्देश्य है। रक्षाबंधन सभी पर्वो का एक अनोखा पर्व ही नहीं भारत की संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों को उजागर करने वाला, अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को प्रकाशित करने वाला और भाई बहिन के वैश्विक रिश्ते की स्मृति दिलाने वाला एक परमात्म उपहार हैं।
इसके बाद सभी स्वयंसेवकों ने तथा उपस्थित लोगो बच्चे, युवा वृद्ध और महिलाओं ने एक दूसरे का राखी बांधकर मिठाइयां खिलाकर समरसमता का परिचय दिया। साथ मिलजुल कर रहने का संकल्प लेने की बात कहीं।इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लालगंज के जिला प्रचारक अवनीश जी, नगर प्रचारक सूर्य प्रभात, नगर संघचालक डॉ ज्वाला, उपजिलधिकारी सुरेंद्र नारायण त्रिपाठी, तहसील दार शैलेंद्र सिंह, नायब तहसीलदार पंकज साही, विभाग कार्यवाह गोविंद सिंह, उत्कर्ष जिला विद्यार्थी प्रमुख, शुभम जी, नगर कार्यवाह आदर्श जी, सुशील, स्वप्निल जी, प्रदुम्न, चन्दन, रजनी कान्त त्रिपाठी,गौरव रघुवंशी एवं संघ के नगर कार्यकारिणी के साथ विचार परिवार के गणमान्य व्यक्ति, स्वयंसेवक बन्धु, मातृशक्तियाँ उपस्थित थीं।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अयोध्या: साइकिल से घर जा रही 2 सगी बहनें हुई गैंगरेप का शिकार, आरोपियों ने युवतियों को उठाने के लिए पहले किया ये काम

Thu Aug 11 , 2022
अयोध्या:——–__साइकिल से घर जा रही 2 सगी बहनें हुई गैंगरेप का शिकार, आरोपियों ने युवतियों को उठाने के लिए पहले किया ये कामयूपी के जिले अयोध्या में बाजार से साइकिल पर घर जा रही अनुसूचित जाति की दो बहनों के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई है। आरोपियों ने लड़कियों […]

You May Like

advertisement