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जीवन का दस्तूर निराला, भूखे को दुश्वार निवाला

जीवन का दस्तूर निराला, भूखे को दुश्वार निवाला

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)

बरेली : नगर स्थित इंडियन स्कॉलर एकेडमी में, सम्भल के सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय ओमप्रकाश प्रार्थी की पुण्यतिथि पर काव्य संध्या का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ डॉ संदीप सचेत, विकास शर्मा एवं मनमोहन गुप्ता ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करके तथा मुकेश दीक्षित की सरस्वती वंदना से हुआ।
तत्पश्चात रामपुर के गजलकार राजवीर सिंह राज ने सुनाया-
ये जो खुशियों के मौसम हैं हसीं दिलकश नज़ारे हैं। है सच ये हमने आँखों में समंदर भी उतारे हैं।।
बहजोई से आए दीपक ‘चिराग’ ने ओमप्रकाश प्रार्थी पर सुनाया-
गगन को चूमकर के भी,फकीरी शान थी उसकी। वो प्रार्थी भेष में यारो!, ख़ुदा ही गुनगुनाया था।
कार्यक्रम संयोजक डॉ० संदीप सचेत ने सुनाया-
जीवन का दस्तूर निराला, भूखे को दुश्वार निवाला।।
चन्दौसी से आए दिनेश पाल ‘दिलकश’ ने प्रार्थी जी पर पढ़ा-
मिलते तो हैं बहुत से लोग आज भी संसार में ,
पर आप जैसे लोग संसार में क्यूं मिलते नहीं।।
अध्यक्षता कर रहे कवि रूपकिशोर गुप्ता ने पढ़ा-
मैं गया मंदिर में तो, मंदिर में गूंजी यह सदा। क्या तेरे घर में नहीं है , माॅं इबादत के लिए।।
व्यंग्य कवि अतुल कुमार शर्मा ने पढ़ा-
जकड़ी है ज़िन्दगी जरूरत के जाल में, समाया सा लगता नर काल के काल में।।
युवा कलमकार अवधेश विद्यार्थी ने श्रृंगार की धारा बहाते हुए पढ़ा- मेरी याद में वो रोती तो होगी, रातों में तकिया भिगोती तो होगी।।
युवा कवि अजय भारती ने हास्य कविता पेश कर सबको गुदगुदाया- उसने साजिश रच ली हमसे दूरियां बनाने की।
हमसे माल लूटती रही और हमें लत लगा दी कमाने की।।
इस अवसर पर ज्ञानप्रकाश उपाध्याय, सुभाष चंद्र शर्मा, मनमोहन गुप्ता, तनिष्क कौशिक, वीकेश शर्मा, विजय बहादुर सक्सेना, श्रेय कौशिक, कृष्णा शर्मा, डॉ संदीप सचेत, कंचन पांडेय, गुरमीत सिंह, अमित शर्मा, लक्ष्य कौशिक आदि लोग उपस्थित रहे।
अध्यक्षता रूपकिशोर गुप्ता ने तथा संचालन अतुल कुमार शर्मा एवं ज्ञानप्रकाश उपाध्याय ने संयुक्त रूप से किया।

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