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भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जो निस्वार्थ प्रेम करता है, उसके प्रेम रूपी माखन को ग्रहण करता हूं : कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं, माखन चोरी, श्री गिरिराज पूजन व छप्पन भोग प्रसंगों पर हुई चर्चा।
कुरुक्षेत्र, 12 जनवरी : तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी में पौष माह में चल रही श्री मद भागवत कथा के अवसर पर व्यासपीठ से विख्यात कथा वाचक कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली ने पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं, माखन चोरी, श्री गिरिराज पूजन व छप्पन भोग प्रसंगों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। कथा प्रारम्भ से पूर्व व्यासपीठ का पूजन किया गया।
कथा वाचक कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली ने कथा में माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जो भक्त निस्वार्थ भाव से मुझ से प्रेम करता है, तो मैं उसके प्रेम रूपी माखन को प्रेम से ग्रहण करता हूं। भगवान ने ब्रजरज पान करके संसार को ब्रज के महत्व की शिक्षा दी और पृथ्वी तत्व का शोधन किया। कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली ने कथा में बताया कि यमुनाजी के अंदर बसे हुए प्रदूषण रूपी कालिया नाग को नथ कर भगवान ने यमुना को प्रदूषण मुक्त किया। भगवान श्रीकृष्ण ने संदेश दिया कि मेरी भक्ति केवल पूजन, पाठ, जप तप व दर्शन से ही नहीं अपितु प्रकृति की शुद्धि प्रकृति का संरक्षण, प्रकृति की सेवा से भी संभव है। कथा के दौरान भगवान गिरिराज महाराज के छप्पन भोग अर्पित किए। जिसके अद्भुत दर्शन कर भक्त आनंदित हो उठे। कथा में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के भजनों पर श्रद्धालु बार बार झूमने को मजबूर हुए। कथा के समापन पर आरती एवं प्रसाद वितरित किया गया।
व्यासपीठ पर कथा वाचक कुंज बिहारी दास जी भक्तमाली एवं पूजन करते हुए श्रद्धालु।