मार्कंडेय ऋषि का पूरा जीवन भगवान शिव और भगवती पार्वती की आराधना मंत्रों की रचना में बीता : महंत जगन्नाथ पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
कलियुग में भी महामृत्युंजय मंत्र जाप महाप्रभावी है : महंत जगन्नाथ पुरी।
ऋषि मार्कंडेय प्राकट्योत्सव पर महामृत्युंजय पाठ के साथ निरंतर जारी है रुद्राभिषेक।
कुरुक्षेत्र, 7 अक्तूबर : आधुनिक सुविधाओं से युक्त विज्ञान युग में भी महामृत्युंजय मंत्र जाप महाप्रभावी है। आस्था एवं भक्ति से महामृत्युंजय पाठ सीधे भगवान भोलेनाथ की शरण प्रदान करता है। ऋषि मार्कंडेय प्राकट्योत्सव के अवसर मारकंडा नदी के तट पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में सर्वकल्याण की भावना से अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी व अन्य संतों के सान्निध्य में 11 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा निरंतर महामृत्युंजय मंत्र पाठ किया जा रहा है। प्राकट्योत्सव के तीसरे दिन महंत जगन्नाथ पुरी ने युगों युगों तक प्रभावी महामृत्युंजय मंत्र जाप का वर्णन किया। मंदिर में यजमान परिवारों ने द्वारा मंदिर के पवित्र शिवलिंग पर निरंतर महामृत्युंजय मंत्र जाप के साथ रुद्राभिषेक किया जा रहा है। इस मौके पर मंत्रोच्चारण के साथ यजमान मामराज मंगला, एडवोकेट राज कुमार सैनी, गुरुभजन सैनी,सिद्धार्थ तुली फौजी, परमजीत सिंह, बंटी गुंबर, शर्मा परिवार नैंसी वाले, तरसेम राणा, शिव राणा, राम कुमार पुरी, पूजा राणा, एडवोकेट खरैती लाल डोडा अबोहर, गुरभजन सिंह, बलजीत गोयत, उषा रानी , मीना रानी इत्यादि ने अभिषेक किया। महंत जगन्नाथ पुरी ने ऋषि मार्कंडेय द्वारा वर्णित महामृत्युंजय स्तोत्र के बारे में बताया कि मृत्युंजय पंचांग में वर्णित है और यह मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भक्त के मन में भगवान के प्रति दृढ़ विश्वास हो जाता है कि वह भगवान रुद्र अर्थात भगवान शिव का आश्रय ले रहा है और यमराज भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा। महंत जगन्नाथ पुरी ने विधि बताई कि विनियोग के पश्चात “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र से करन्यास तथा अंगन्यास करें तथा ध्यान लगाकर महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करें। इस कलियुग में जिस महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके प्राणी अपने प्राणों को यमपाश से मुक्त करा सकता है, उस महामृत्युंजय मंत्र के रचियता वे मार्कंडेय ऋषि हैं जिन्हें उनके माता-पिता ने भगवान शिव के आशीर्वाद से प्राप्त किया था। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि वास्तव में मार्कंडेय ऋषि का पूरा जीवन भगवान शिव और भगवती पार्वती की आराधना के उन मंत्रों की रचना करने में बीता, जिन्हें हम प्राणी आज भी उच्चारित करके भगवान शिव और भगवती पार्वती की कृपा प्राप्त करने का प्रयत्न करते रहते हैं। मार्कंडेय ऋषि ने जिस मार्कंडेय पुराण की रचना की है, उस पुराण में ये तमाम मंत्र श्लोक के रूप में लिखे हुए हैं। मार्कंडेय पुराण में कुल 9 हजार श्लोक हैं। इस अवसर पर स्वामी संतोषानंद, स्वामी सीताराम, मयूर गिरि, बलजीत सिंह, बलदेव, भाना राम, बिल्लू पुजारी, सुक्खा सिंह, सिंदर सिंह, नाजर, दिव्या एवं कृतिका इत्यादि भी मौजूद थे।
महामृत्युंजय मंत्र जाप करते हुए ब्राह्मण एवं मंदिर में रुद्राभिषेक करते हुए यजमान।