सिटी सब्जी मंडी स्थित महर्षि बाल्मीकि मंदिर में मूर्ति पर मालार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्प वर्षा कर महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई

सिटी सब्जी मंडी स्थित महर्षि बाल्मीकि मंदिर में मूर्ति पर मालार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्प वर्षा कर महर्षि बाल्मीकि जयंती मनाई
दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान ट्रस्ट रजि. भारत की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारीगणों एवं सदस्यगणों ने बरेली सिटी सब्जी मंडी स्थित महर्षि वाल्मीकि मंदिर में महर्षि वाल्मीकि जी को उनके प्रकट महोत्सव पर महर्षि वाल्मीकि जी की मूर्ति पर मालार्पण कर दीप प्रज्वलित एवं पुष्प वर्षा कर महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती मनाई जयंती के मौके पर राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिंदु उर्फ इशिका सिंघानिया ने संबोधित करते हुए कहा मैं देशवासियों को महर्षि वाल्मीकि जी की जन्म उत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं महर्षि वाल्मीकि जी संस्कृत भाषा के आदिकवि और महान हिंदू महाकाव्य रामायण के रचयिता है पहले उनका नाम रत्नाकर था और यह अपने परिवार के भरण पोषण के लिए लूटपाट करते थे महर्षि नारद मुनि के संपर्क में आने के बाद इनका हृदय परिवर्तन हुआ और कठोर ऐसी तपस्या की उनके शरीर पर दीमकों ने बॉबी बना ली जिसके कारण इनका नाम वाल्मीकि के नाम से व्याख्यात हुआ पुराने के अनुसार वाल्मीकि जी का जन्म ऋषि कश्यप और अदिति के नौवे पुत्र थे इनका एक नाम प्रचेता भी था आज हम लोग ऐसे महा तपस्वी आदिकवि रामायण के रचयिता की जयंती अपने कार्यकर्ताओं के साथ हर्षोल्लाह से मना रहे हैं राष्ट्रीय महामंत्री नरेंद्र पाल ने बताया तमसा नदी के तट पर एक व्याध शिकारी क्रोच पक्षी के जोड़े में एक को मारे जाने पर वाल्मीकि के मुंह से स्वत: स्फूर्त रूप से एक श्लोक निकला जिसे संस्कृत साहित्य का प्रथम श्लोक माना जाता है बाद में उन्होंने नारद से मुनि राम की कथा के आधार पर इसी चांद में रामायण की रचना की महर्षि वाल्मीकि के प्रकट उत्सव जयंती कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानव सेवा संस्थान की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिंदु और इसी का सिंघानिया, राष्ट्रीय महामंत्री नरेंद्र पाल, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन निहालानी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकेश मेहंदीरत्ता, संरक्षक जे. आर गुप्ता, भारतेंदु सिंह, सदस्य डॉ अखिलेश गुप्ता, रामकिशोर, अमरीश कठेरिया, हरबंस सिंह, राजेश खुराना, कांता गंगवार, हरि सिंह वरदान, आदि क्षेत्रवासी एवं हिंदू समाज के लोग मौजूद रहे ।