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मनुष्य को भगवान से वस्तु ना मांगकर प्रेम मांगना चाहिए : डा. रमनीक

हरियाणा संपादक : वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्यूरो चीफ – कपिल अरोड़ा दूरभाष – 9416191877

मनीमाजरा : सनातन शिव मंदिर सुभाष नगर मनीमाजरा में आयोजित श्रीमद्भगवत कथा के द्वितीय दिवस में सद्भावना दूत भागवताचार्य डा. रमनीक कृष्ण जी ने कुंती चरित्र श्रवण कराते हुए बताया के मनुष्य को भगवान से वस्तु ना मांगकर प्रेम मांगना चाहिए। कुंती ने अपने पूरे जीवन में केवल दुख ही सहे। जीवन के अंतिम पडाव पर जब अभिमन्यु की भार्या उत्तरा के गर्भ पर अश्वथामा ने तीर चलाया तो मां ने भगवान के समक्ष रूदन करते हुए कहा ! हे गोविन्द! मैं मरू तो अभी मर जाऊं परंतु मेरे गर्भ में पल रहे पांडवों को अंतिम निशानी की रक्षा आप करें। भगवान श्रीकृष्ण ने उसी समय सूक्ष्म स्वरूप बनाकर गर्भस्थ बालक की रक्षा की। बुआ कुंती ने भगवान के चरण पकड़ने चाहे। भगवान ने कहा मां मैं भी अर्जुन भीम के समान आपका ही पुत्र हूं। कुंती ने कहा हे घनश्याम आज तक तो मैं भी यही समझती रही के तुम मेरे पुत्र हो परंतु आज मैं जान गई हूं के तुम सारे संसार के पिता हो। भगवान बोले मां अगर तुम मुझे पहचान ही गई हो तो आज अपने भगवान से एक बार कुछ मांग कर भी देख लो। समस्त कौरव पांडव आश्चर्यचकित हो गए की कहीं बुढ़ापे में मां जिसने जिंदगी भर कभी किसी से कुछ भी नहीं मांगा कोई संसारी सुख भगवान से ना मांग ले। परंतु कुंती ने जो भगवान से मांगा वो संसार के लिए शिक्षा बन गई। कुंती के कहा गोविंद तेरा दिया सबकुछ है अगर फिर भी कुछ देना चाहता है तो अपने जीवन के भी सारे दुख मेरी झोली में डाल दे। सब के नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी। कुंती ने सारी जिंदगी केवल दुख ही सहे। आज भगवान सामने खड़े है अगर कोई हम जैसा संसारी होता तो ना जाने भगवान से क्या क्या मांग बैठता परंतु कुंती का मांग दुनिया के लिए उदाहरण बन गई भगवान से पदार्थ नही प्रेम मांगा जाए।आज कथा में विशेष रूप से सोलिसिएटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन, चंडीगढ़ भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद, उमेश घई, नेहा अरोड़ा, वी एस चौधरी उपस्थित रहे।

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