पोषण पुनर्वास केंद्र बना पालनहार 65 बच्चे हुये सुपोषित

रिपोर्ट पदमाकर पाठक

पोषण पुनर्वास केंद्र बना पालनहार 65 बच्चे हुये सुपोषित

केंद्र में सभी चिकित्सकीय सुविधाएं एवं खान-पान मुफ्त

आजमगढ़। जन्म के कुछ महीनों के बाद ही हुसेनगंज गांववासी भोला गुप्ता का बेटा कार्तिकेय अति -कुपोषित हो गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से उसको जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी केंद्र में 22 जुलाई को भर्ती कराया। वहां उसे बेहतर इलाज व पौष्टिक भोजन दोनों मुफ्त मिला। भर्ती होने के दिन कार्तिकेय का वजन 3.720 किलोग्राम था। जो 30 जुलाई को डिस्चार्ज के दिन 4.310 किलोग्राम हो गया। मां, बाप ने बताया कि कार्तिकेय प्रतिदिन स्वस्थ हो रहा है। 15 दिन बाद दोबारा बुलाया गया है।
कुछ ऐसा ही गांव कटरा मुबारकपुर में हुआ। यहां की दुर्गावती का बच्चा अयांश पिछले वर्ष सितम्बर में पैदा हुआ था। कुछ महीनों बाद ही वह कुपोषित हो गया। आरबीएसके टीम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सहयोग से बच्चे को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी में 16 मई को भर्ती कराया। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया गया। भर्ती के दौरान बच्चे का वजन 4.860 किलोग्राम था जबकि 12 दिन में उसका वजन 5.510 किलोग्राम हो गया। फालोअप के लिए चौथी बार बुलाया गया था। यह सिर्फ कार्तिकेय या अयांश की कहानी नहीं बल्कि ऐसे कई जनपदवासी हैं जो राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) से लाभान्वित हो रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने बताया कि जनपद में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन मंडलीय जिला चिकित्सालय से हो रहा है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य कुपोषित और अति-कुपोषित बच्चों को सुपोषित करना है। लाकडाउन के बाद इस केंद्र ने 65 बच्चों को सुपोषित किया है। मंडलीय जिला चिकित्सालय में कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद से 84 कुपोषित बच्चों को भर्ती किया गया था। जिसमें से 65 बच्चों को नई जिंदगी दी जा चुकी है। आठ बच्चों को रेफर किया गया है। तथा 11 बच्चे डिफाल्टर हैं। इस क्रम में मई माह में 26, जून माह में 23 तथा जुलाई माह में 24 बच्चों को केंद्र में भर्ती किया गया था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई प्रसाद ने बताया कि मंडलीय जिला चिकित्सालय में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना 14 मई 2015 को हुई थी। वर्तमान में चार बच्चे भर्ती हैं। वार्ड में बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त खिलौने भी हैं। गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आशा तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से एनआरसी में भर्ती कराते हैं। एनआरसी के मेडिकल आफीसर एवं इन्चार्ज डॉ कासिफ ने बताया कि इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों को लाया जाता है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती होते हैं। जिनका बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में समुचित इलाज किया जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान कर स्वस्थ किया जाता है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
पोषण पुनर्वास केंद्र को जानें- मंडलीय जिला चिकित्सालय में स्थित एनआरसी वार्ड में नोडल अधिकारी डॉ वाई प्रसाद , मेडिकल ऑफिसर डॉ कासिफ, डाइटीशियन ऋचा सिंह, 3 स्टाफ नर्स कंचन,वंदना यादव तथा प्रियंका, एक केयरटेकर श्रीराम मौर्या तथा कुक मीना हैं। डाइटीशियन ऋचा सिंह ने बताया कि यहाँ पर पहले बच्चों का एपेटाइट टेस्ट (भूंख की जांच) की जाती है, फिर वार्ड में भर्ती किया जाता है। इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 21 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानी प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा इत्यादि, साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन-ए, जिंक, मल्टी विटामिंस इत्यादि दवाएं भी दी जाती हैं।

केंद्र में सभी चिकित्सकीय सुविधाएं एवं खान-पान मुफ्त

आजमगढ़। जन्म के कुछ महीनों के बाद ही हुसेनगंज गांववासी भोला गुप्ता का बेटा कार्तिकेय अति -कुपोषित हो गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से उसको जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी केंद्र में 22 जुलाई को भर्ती कराया। वहां उसे बेहतर इलाज व पौष्टिक भोजन दोनों मुफ्त मिला। भर्ती होने के दिन कार्तिकेय का वजन 3.720 किलोग्राम था। जो 30 जुलाई को डिस्चार्ज के दिन 4.310 किलोग्राम हो गया। मां, बाप ने बताया कि कार्तिकेय प्रतिदिन स्वस्थ हो रहा है। 15 दिन बाद दोबारा बुलाया गया है।
कुछ ऐसा ही गांव कटरा मुबारकपुर में हुआ। यहां की दुर्गावती का बच्चा अयांश पिछले वर्ष सितम्बर में पैदा हुआ था। कुछ महीनों बाद ही वह कुपोषित हो गया। आरबीएसके टीम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सहयोग से बच्चे को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी में 16 मई को भर्ती कराया। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया गया। भर्ती के दौरान बच्चे का वजन 4.860 किलोग्राम था जबकि 12 दिन में उसका वजन 5.510 किलोग्राम हो गया। फालोअप के लिए चौथी बार बुलाया गया था। यह सिर्फ कार्तिकेय या अयांश की कहानी नहीं बल्कि ऐसे कई जनपदवासी हैं जो राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) से लाभान्वित हो रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने बताया कि जनपद में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन मंडलीय जिला चिकित्सालय से हो रहा है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य कुपोषित और अति-कुपोषित बच्चों को सुपोषित करना है। लाकडाउन के बाद इस केंद्र ने 65 बच्चों को सुपोषित किया है। मंडलीय जिला चिकित्सालय में कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद से 84 कुपोषित बच्चों को भर्ती किया गया था। जिसमें से 65 बच्चों को नई जिंदगी दी जा चुकी है। आठ बच्चों को रेफर किया गया है। तथा 11 बच्चे डिफाल्टर हैं। इस क्रम में मई माह में 26, जून माह में 23 तथा जुलाई माह में 24 बच्चों को केंद्र में भर्ती किया गया था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई प्रसाद ने बताया कि मंडलीय जिला चिकित्सालय में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना 14 मई 2015 को हुई थी। वर्तमान में चार बच्चे भर्ती हैं। वार्ड में बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त खिलौने भी हैं। गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आशा तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से एनआरसी में भर्ती कराते हैं। एनआरसी के मेडिकल आफीसर एवं इन्चार्ज डॉ कासिफ ने बताया कि इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों को लाया जाता है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती होते हैं। जिनका बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में समुचित इलाज किया जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान कर स्वस्थ किया जाता है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
पोषण पुनर्वास केंद्र को जानें- मंडलीय जिला चिकित्सालय में स्थित एनआरसी वार्ड में नोडल अधिकारी डॉ वाई प्रसाद , मेडिकल ऑफिसर डॉ कासिफ, डाइटीशियन ऋचा सिंह, 3 स्टाफ नर्स कंचन,वंदना यादव तथा प्रियंका, एक केयरटेकर श्रीराम मौर्या तथा कुक मीना हैं। डाइटीशियन ऋचा सिंह ने बताया कि यहाँ पर पहले बच्चों का एपेटाइट टेस्ट (भूंख की जांच) की जाती है, फिर वार्ड में भर्ती किया जाता है। इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 21 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानी प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा इत्यादि, साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन-ए, जिंक, मल्टी विटामिंस इत्यादि दवाएं भी दी जाती हैं।

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