पौष्टिक आहार: हमारी शारीरिक जरूरत
डा. संजीव कुमारी
‘पहला सुख निरोगी काया‘ यह वाक्य सुनते ही महसूस होता है कि स्वास्थ्य के अलावा इस दुनिया में कोई सुख नहीं है। परंतु बहुत से लोग इस बात को समझ ही नहीं पाते। उन्हें माया में ही सुख नजर आता है। परंतु जब इंसान अपने आप उठने – बैठने लायक ही ना रहे तब पता चलता है कि सच में निरोगी काया ही पहला सुख है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है – संतुलित व पौष्टिक आहार। परंतु आज हम पाश्चात्य संस्कृति के रंगों में रंगे जा रहे हैं। अपने बच्चों को जंक व फास्ट फूड खिलाने में अपनी इज्जत समझते हैं। जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इनमें घर के खाने की तरह पौष्टिकता नहीं होती तथा यह बच्चों की बढ़ोतरी (ग्रोथ) को भी रोकते हैं। अधपके फास्ट फूड में कई तरह के रसायन होते हैं, जो स्वास्थ्य को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं साथ-साथ एकाग्रता को भी भंग करते हैं। जिसके कारण पढ़ाई व अन्य कार्य प्रभावित होते हैं। वर्ष 2020 मार्च में 8 से 22 मार्च तक महिला व बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पोषण पखवाड़ा मनाया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य कुपोषण को दूर करना है। भारत में 5 वर्ष से कम आयु के 44 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन के हैं। 72 प्रतिशत नवजात शिशु व 52 प्रतिशत विवाहित महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। गर्भ के दौरान संपूर्ण पौष्टिक भोजन ना करने के कारण यह समस्याएं आती हैं, जो भविष्य में बच्चों के लिए शारीरिक व मानसिक क्षमताओं के कम होने का कारण बनती हैं। पौष्टिक भोजन में कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन, फैट, विटामिन व मिनरल आदि सभी होने जरूरी हैं। जो हमें विभिन्न खाद्य पदार्थों से मिलते हैं। यही कारण है कि हमें हमेशा बदल-बदल कर भोजन करना चाहिए। कार्बोहाइड्रेटस हमें गेहूं, चावल, मक्का व आलू आदि से मिलते हैं। इसका प्रथम कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। ज्यादातर कार्बोहाइड्रेटस ग्लूकोस में बदलकर खून में घुल कर पूरे शरीर के अंगों तक पहुंच कर उन्हें ऊर्जा प्रदान करते हैं। प्रोटीन हमें चना, बादाम व मटर आदि से मिलते हैं। हमारे शरीर में उत्तकों को बनाने व मरम्मत करने के काम आते हैं। इसके अतिरिक्त यह शरीर में एंजाइमस, हार्मोनस व अन्य रसायन बनाने में सहायक होते हैं। यह मांसपेशियों व उपास्थियों का मुख्य भाग होते हैं। फैट हमें घी, तेल, बादाम, नारियल, मूंगफली व अखरोट आदि से मिलते हैं। यह हमारे शरीर में जमा ऊर्जा के रूप में रहते हैं। यह हमें अधिक सर्दी से बचाते हैं तथा हमारे शरीर के अंदर के नाजुक अंगों के लिए कुशन का कार्य करते हैं। विटामिन हमें दूध व दूध से बने पदार्थों, पनीर व मूंगफली आदि से मिलते हैं । यह स्वस्थ आंखें दांत व त्वचा के लिए जिम्मेदार हैं। यह शरीर की बढ़ोतरी के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। शरीर में रक्त संचार व खून के जमाव में काम करता है। मिनरल्स में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सोडियम व सल्फर मुख्य हैं। यह हमें मछली, बाजरा, केला, पालक व सेब आदि से मिलते हैं। यह हड्डियों की मजबूती, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में, रक्त संचार को नियमित करने में ,एसिड-बेस बैलेंस करने में काम करते हैं। यह एंजाइमस व हार्मोनस का हिस्सा होते हैं। आयरन यानी लोह तत्व खून का भाग है जो पूरे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। पानी यह 60 से 73 प्रतिशत तक हमारे शरीर में होता है। खून में 90 प्रतिशत तक पानी होता है। यह हमारे शरीर के तापमान को संतुलित रखता है। पानी पसीने व पाचन तंत्र में भी अहम भूमिका निभाता है। यह किडनी के काम करने के लिए जरूरी है। हमें अपने भोजन में सभी प्रकार की चीजें खानी चाहिए। क्योंकि आपने देखा कि अलग-अलग कार्य के लिए अलग-अलग चीजें हैं जिनका हमारे शरीर में महत्वपूर्ण योगदान है। बागभट्ट जी के अनुसार सुबह का खाना 7 से 9 बजे तक, दोपहर का खाना 1 से 2 बजे तक तथा शाम का खाना सूर्यास्त से 40 मिनट पहले तक कर लेना चाहिए। खाना ताजा पका हुआ हो और उसे पकने के 48 मिनट तक चबा- चबा कर खा लेना चाहिए। जो हम फास्ट फूड खा रहे हैं उनमें मैदा, चीनी व रिफाइंड तेल की अधिकता होती है। जो हमारे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। मैदे में से सारे रेशे निकाले जाते हैं। चीनी में सल्फर होता है जो बनाने में प्रयोग होता है। रिफाइंड बनाते समय तेल को छह-सात बार गर्म किया जाता है जिससे उसकी चिकनाई खत्म हो जाती है। आयोडाइजड नमक जो फ्री फ्लोइंग होता है उसमें एल्युमिनियम सिलीकेट का प्रयोग होता है। आज हम इन सब को धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं। खाने को एल्युमिनियम फाइल में डालकर पैक करना फैशन सा बन गया है। परंतु यह बहुत खतरनाक है। इससे हमारा पैराथायराइड हार्मोन असंतुलित होता है। उत्तकों व हड्डियों के निर्माण में कमी आती है। हमारे सोचने की शक्ति भी कम होती है। खून जमा होने के कारण मांसपेशियों पर नियंत्रण कम हो जाता है। भोजन की ताजगी व पौष्टिकता को फ्रिज बुरी तरह से प्रभावित करता है। हम दो-तीन दिन फ्रिज में रखकर खाने को बासी करके फिर खाते हैं। जो कि हमें बनने के 48 मिनट में ही खा लेना चाहिए। फ्रिज का ठंडा पानी भी हमारे पाचन तंत्र को खराब करता है। जिस तरह फ्रिज में रखने से मिठाई व अन्य वस्तुएं सख्त हो जाती हैं ऐसे ही ठंडा पानी पीने से हमारे शरीर में खाना भी सख्त होकर कब्ज का कारण बनता है। कब्ज से कई तरह की बीमारियां होती हैं। इसलिए पौष्टिक आहार करना चाहिए। जो हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक है। उसके साथ आहार ताजा भी होना चाहिए। आहार को ठीक से पचाने के लिए हमें योगाभ्यास भी करते रहना चाहिए। समय से सोकर समय से उठना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। फ्रिज व ए.सी. से दूर रहते हुए हमें सफाई व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए ताकि किसी प्रकार की कोई गंदगी शरीर में ना जा पाए व हमारा स्वास्थ्य बरकरार रहे।
आओ करें सब यह विचार
खांए हमेशा पोष्टिक आहार
डॉ. संजीव कुमारी
पर्यावरणविद् व लेखक