दिव्या ज्योति जागृती संस्थान की ओर से स्थानीय आश्रम में बहन भाई के प्रेम का प्रतीक राखी का पवित्र त्यौहार बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया
फिरोजपुर 28 अगस्त {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने फिरोजपुर स्थित स्थानीय आश्रम में बहन-भाई के प्रेम का प्रतीक राखी का पवित्र त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी किरन भारती जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राखी हमारा पवित्र त्योहार है। जिसे सभी धर्म और जाति के लोग बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। भाई अपनी बहन को उपहार देने के साथ-साथ उसकी सदैव रक्षा करने का वचन भी देता है। यूँ कहें तो आज के समय में कुछ लोग स्वार्थी हो गये हैं। राखी मनाने का असली मकसद तभी पूरा हो सकता है जब दोनों बहन-भाई एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान दिखाएं। आज के युग में कहें या कलयुग में भाई-बहन का पवित्र रिश्ते में भी कड़वाहट आ गई है। पहले राखी का मूल्य प्रेम से जुड़ा था। निःसंदेह ऐसे भाई आज भी हैं, ऐसी बहनें जो अपने माता-पिता को याद नहीं करतीं और जीवन भर भाई अपनी बहन को माता-पिता बनकर संभालता हैं और ऐसी बहनें भी हैं जो अपने भाइयों को माता-पिता और बेटों की तरह सम्मान और प्यार करती हैं। इस राखी को बांधने का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब दोनों एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान दिखाएं नही तो महंगी और खूबसूरत राखी का कोई महत्व नहीं है। कुछ बहनें अपने भाइयों को सोने या चांदी की राखी भी बांधती हैं। यह आपके दृष्टिकोण या सोच पर निर्भर करता है। लेकिन प्यार का धागा तो एक ऐसा धागा है जो जिंदगी भर के लिए खुलता नही है। आज राखी की कीमत प्यार से नहीं, बल्कि कपड़े, गहने या पैसों से आंकी जाती है। कुछ बहनें उसी भाई को अधिक सम्मान देती हैं जो उनकी राखी को अधिक महत्व देता है। यह भाईचारे का एक प्यारा त्योहार है। इसे इसी दृष्टि से मनाया जाना चाहिए।
बेशक, आज रिश्तों में वो गर्माहट और नजदीकियां नहीं रहीं जो पहले हुआ करती थीं, लेकिन फिर भी कुछ लोगों के दिल भावुक होते हैं। उन्होंने कहा कि भक्त का असली रिश्ता सतगुरु से होता है, भक्त का प्रेम सतगुरु के चरणों में लग जाने के बाद सतगुरु अपने भक्त की रक्षा करते हैं। आज राखी के मौके पर साध्वी बहनों और संगत ने सतगुरु की कलाई पर राखी बांधी, साध्वी बहनों ने संगत को राखी बांधी और सतगुरु के चरणों में जुड़े रहने की प्रार्थना की।
समधुर भजन का गायन साध्वी संदीप भारती द्वारा किया गया। अंत में प्रसाद वितरित किया गया।