रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है तो कैसे और कब भाई बहन का त्यौहार मनाए : डॉ. सुरेश मिश्रा

रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है तो कैसे और कब भाई बहन का त्यौहार मनाए : डॉ. सुरेश मिश्रा।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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आखिर भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी ?

कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली (कुरुक्षेत्र) के डॉयरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली के पीठाधीश डॉ.सुरेश मिश्रा ने बताया की शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा में राखी बांधी थी। जिसके कारण रावण का विनाश हो गया यानी कि रावण का अहित हुआ। इस कारण लोग मना करते हैं भद्रा में राखी बांधने को।
भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी……।
शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा बिना भद्रा काल में मनाना शुभ होता है। अगर रक्षाबंधन के दिन भद्रा रहे तो इस दौरान राखी नहीं बांधनी चाहिए। लेकिन इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को सुबह श्रावण पूर्णिमा तिथि के साथ 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा लग जाएगी। जो रात को 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। रात्रि 9 बजकर 2 मिनट से 31 अगस्त 2023 को प्रातः 7 बजकर 5 मिनट तक हैं।
इस साल भद्रा रक्षाबंधन के दिन पृथ्वी पर वास करेंगी जिस कारण से भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं रहेगा।
वेदों,शास्त्रों , धर्मग्रंथों और पुराणों के नियमों का पालन करना आसान नही है। भगवान आपके मन के हर पाप और पुण्य को नोट करते है क्योंकि वह सदा हर जीव के हृदय में विराजमान रहते हैं चाहे हम माने या 84 लाख योनियों को भोगकर किसी अनुभवी सद्गुरु के द्वारा साधना करके जानें।
जन मानस आपातकाल में चौघड़िया मुहूर्त का लाभ ले सकते है। श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन का चौघड़िया के आधार पर शुभ मुहूर्त : अमृत काल चौघड़िया : प्रातः 10:47 से 12.00 बजे तक।
चर चौघड़िया: दोपहर 3:35 से 5.11बजे तक।
लाभ चौघड़िया सायं 5.12 से 6: 47 बजे तक।
विशेष उपाय : आपातकाल में पहली राखी सभी बहनें अपने सद्गुरु को बांधे। जिनके सद्गुरु नहीं है वो बहनें अपने इष्ट देव या इष्ट देवी या जिसकी भी आप श्रद्धा भावना से पाठ पूजा करते है उनको बांधे। सभी भाई और बहनें धर्म पर चले और सभी का भला हो यह प्रार्थना करें। जीव जंतुओं और असहाय लोगों की विशेष सेवा करें।
श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने से इस दिन रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा। पुराणों के अनुसार आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की इच्छा रखते हैं उसे रक्षा सूत्र यानी राखी बांध सकते हैं, चाहें वह किसी भी रिश्ते में हो।
राखी के साथ क्या है जरूरी ?
रक्षाबंधन का त्यौहार बिना राखी के पूरा नहीं होता, लेकिन राखी तभी प्रभावशाली बनती है जब उसे मंत्रों के साथ रक्षासूत्र बांधा जाए।
रक्षासूत्र का मंत्र है- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
इस मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ लिया जाता है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे ! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहित अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
इस दिन प्रात: उठकर स्नान करके यमुना व उनके भाई यमराज को प्रणाम करना चाहिए I मृत्यु के देवता यम को उनकी बहन यमुना ने इसी दिन राखी बांधी और अमर होने का वरदान दिया। यमराज ने इस पावन दिन को अक्षुण्ण रखने के लिए घोषणा की जो भाई इस दिन अपनी बहन से राखी बंधवाएगा और उसकी रक्षा करने का वचन देगा। वहां मेरे दूत नही जांऐगे और उसकी अकाल मृत्यु नही होगी। इस पर्व के पीछे यह भाव है कि समाज में रहने वाले लोग मिलजुल कर रहें और जरूरत पडऩे पर एक दूसरे की सहायता कर सके। यह पर्व भाईयों को शक्तिशाली होने का बोध कराता है। जिन भाईयों की बहने नही होती वे भी अपनी मुंहबोली बहन,चाहे वह किसी भी धर्म की हो, उनसे बड़े प्रेम और श्रद्धा से राखी बंधवानी चाहिए। भगवान का रूप धर्मराज का भी है। ईश्वर सत्यं शिवम् सुंदरम है जो भक्त अपने सद्गुरु के निर्देशन में श्रद्धा और भक्ति के साथ निष्काम कर्म करता है वही भगवान को प्रिय लगता है चाहे वह भक्त ध्रुव,प्रहलाद, विभीषण, बलि, रामभक्त हनुमान हो या मीराबाई या सहजोबाई हो। धर्म और भगवान सदा आपकी रक्षा करते है डर तो उनको ही लगेगा जो पापाचार और अधर्म पथ पर चलते है।

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