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कौशल विकास का केन्द्र बना रत्नावली

स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाने की कार्यशाला बना रत्नावली।
मनोरंजन के साथ-साथ युवाओं में आत्मविश्वास की भावना पैदा कर रहा है रत्नावली महोत्सव।
हस्तशिल्प मेले में 42 स्टाल पर सैंकेड़ो छात्र के उत्पादों की लाखों में बिक्री।

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 30 अक्टूबर : हरियाणा की लोक संस्कृति के परिचायक के रूप में स्थापित हो चुका रत्नावली समारोह अपने नए रंग-ढंग के कारण इस बार चर्चाओं मंे है। हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण, पुर्नरूत्थान के साथ-साथ हरियाणवी बोली, सांझी को लोकप्रिय बनाने में अहम् भूमिका अदा करने वाला रत्नावली उत्सव इस बार स्वावलंबी व आत्मनिर्भर भारत की झलक भी दिखा रहा है। युवाओं में आत्मविश्वास की भावना पैदा करने के साथ-साथ उनके कौशल में भी विकास कर रहा है। रत्नावली हस्तशिल्प मेले में 42 स्टालों पर विश्वविद्यालय के भिन्न भिन्न विभाग के सैंकड़ों छात्रों द्वारा स्वयं बनाए गए उत्पाद तीन दिनों में लाखों रूपये में बिक चुके हैं।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की जो सोच थी छात्रों में इंटर्नशिप, स्वावलंबी, आत्मनिर्भर, स्वदेशी व कौशल विकास की भावना को विकसित करना वह इस रत्नावली हस्तशिल्प मेले में साकार हो गई है। युवाओं के चेहरे भारी भीड़ के कारण खिले हुए हैं। छात्रों की कला की खूब प्रशंसा होने के साथ-साथ उनको खरीददार भी मिल रहे है। रत्नावली हस्तशिल्प मेले में जहां विश्वविद्यालय के छात्र अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल के छात्र भी किसी से कम नहीं। स्कूल के छात्र यश मेहरा द्वारा लगाया गया फूड कार्नर सबका जायका बदल रहा है। यहां के स्वादिष्ट गोलगप्पे, टिक्की, चाट, लस्सी सबको पसंद आ रही है। इसके साथ-साथ स्कूल के छात्रों द्वारा बनाए गए सामान की भी खूब बिक्री हो रही है। जनसंचार एवं मीडिया संस्थान के छात्रों द्वारा लगाया प्रिंटेड कपो का स्टाल व फोटो गैलरी, ज्वेलरी में श्रेया, पावनी, सिया, तितिक्षा, सान्वी तथा फेस पेंटिंग में लक्ष्मी, तमन्ना, निकिता अन्य विद्यार्थियों का स्टाल भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। स्वदेशी मंच द्वारा लगाए गए स्टाल में स्वदेशी उत्पाद खूब बिक रहे हैं। इसके साथ-साथ विधि विभाग, पर्यटन विभाग, प्रबंधन विभाग, आईआईएचएस, फाइन आर्ट्स, संगीत एवं नृत्य विभाग, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, सोशोलॉजी, फिजिक्स, कुटिक, यूआईईटी के छात्रों द्वारा लगाए गए स्टालों में कप व टी-शर्ट पेंटिंग, फेस टेटू, मास्क पेंटिंग, हैंडीक्राफ्ट, साज-सज्जा का सामान सबके आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। हरियाणवी संस्कृति के रंगों से सजा यह महोत्सव इस बात का प्रमाण है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं बल्कि हरियाणा की पहचान और गर्व का प्रतीक है।

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