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युवा पीढ़ी के लिए अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने का अवसर है रत्नावलीः नायब सिंह सैनी

युवा पीढ़ी के लिए अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने का अवसर है रत्नावलीः नायब सिंह सैनी

हरियाणा की सांझी व हरियाणवी बोली को विशेष पहचान दिलाएगा कुविः प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
चार दिवसीय रत्नावली समारोह का मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किया शुभारंभ।

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 28 अक्टूबर : हरियाणा सरकार हरियाणा को केवल कृषि और औद्योगिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के केन्द्र के रूप में भी स्थापित करने का प्रयास कर रही है। इस कार्य में रत्नावली महोत्सव महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। यह महोत्सव हरियाणा की गौरवशाली विरासत, माटी की महक व हमारे जीवंत लोकजीवन की विराट व अद्भुत झांकी है। रत्नावली महोत्सव विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को निखारने व युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है। यह विचार हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आडिटोरियम हॉल में हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित चार दिवसीय राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पहंुचने पर कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव लेफ्टिनेंट डॉ. वीरेन्द्र पाल, सहित अन्य अधिकारियों ने उनका ढोल नगाड़ो व हरियाणवी लोकधुनों के साथ स्वागत व अभिनंदन किया। इसके बाद सभी अतिथियों व अधिकारियों ने रत्नावली क्राफ्ट मेले का अवलोकन किया तथा आडिटोरियम हाल में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. ऋषिपाल, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, संतराम देसवाल, पूर्व निदेशक अनूप लाठर सहित अन्य अतिथियों ने सरस्वती मां की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर विधिवत रूप से रत्नावली महोत्सव का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह महोत्सव एक ऐसा मंच है, जो युवा पीढ़ी को हमारी जड़ों से जोड़ता है। आज जब पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में हमारी युवा पीढ़ी भटक रही है, तो रत्नावली महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने, संरक्षित करने और उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनुपम प्रयास है। हमारी इस विरासत में भगवान श्रीकृष्ण जी द्वारा दिया गया गीता का कर्मयोग का अमर संदेश है। हमारी संस्कृति में सादगी है, स्वाभिमान है, दूध-दही का खाणा व देश के लिए मर मिटने का जज्बा है। रत्नावली इन्हीं सब मूल्यों को उजागर करने वाला उत्सव है। इस मंच से निकलने वाले हमारे कलाकार न केवल प्रदेश का नाम, बल्कि देश का नाम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि युवा हमारे प्रदेश का भविष्य हैं और संस्कृति का संवाहक भी युवा ही हैं। हमारी युवा पीढ़ी अपनी विरासत को लेकर कितनी सजग और उत्साहित है। शिक्षा हमें ज्ञान और कौशल देती है, लेकिन संस्कृति हमें संस्कार और पहचान देती है। वेशभूषा, आपका नृत्य, आपके लोकगीत, हरियाणवी सांग और रागनी, यहां बनाई गई झोपड़ियां- ये सब केवल प्रदर्शन मात्र नहीं हैं, ये हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर हैं। विद्यार्थी शिक्षा के साथ-साथ अपनी इस विरासत से भी जुड़े रहें। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह प्रदेश 1966 में बना लेकिन इस विश्वविद्यालय की नींव 1956 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने रखी थी। हरियाणा प्रदेश के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में इस विश्वविद्यालय का अमूल्य योगदान है। हरियाणा प्रदेश ने शिक्षा, खेल, संस्कृति, शोध, औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति कर अग्रणी राज्य के रूप में भारत में अलग पहचान बनाई है। इस पहचान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह विश्वविद्यालय, ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान, कौशल विकास, खेल, कला, संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक है। देश में ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं, जो शिक्षा के साथ-साथ अपने क्षेत्र की संस्कृति को सहेजने का काम कर रहे हैं
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पिछले 38 वर्षों से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रत्नावली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। हरियाणा की सांस्कृतिक विकास यात्रा में इस उत्सव की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा व सभी अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव को हरियाणवी संस्कृति का महाकुंभ कहा जाता है। इसमें अहीर, बांगर, खादर, कोरवी मेवाती जैसी विभिन्न बोलियों की 34 विधाओं में लगभग 3 हजार 500 युवा कलाकार भाग लेते हैं। सरकार का भी प्रयास है कि हम शिक्षा और संस्कृति के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करें। संस्कृति और पर्यटन एक-दूसरे के पूरक हैं। जब हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करते हैं और उसे बढ़ावा देते हैं, तो हम दुनिया भर से पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपने लोक कलाकारों के लिए विभिन्न कार्यक्रम और मेलों का आयोजन करती है। इनमें गीता महोत्सव और सूरजकुंड क्राफ्ट मेले तो विश्व प्रसिद्ध हैं। ऐसे आयोजनों से लोक कलाकारों को कला को निखारने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का मौका मिलता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि सब मिलकर अपनी संस्कृति को जीवित रखें। अपनी कलाओं पर गर्व करें, उन्हें सीखें और दूसरों को भी सिखाएं। उद्घाटन समारोह में विद्यार्थियों द्वारा लूर और रसिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि रत्नावली समारोह एक उत्सव नहीं है बल्कि यह हरियाणवी संस्कृति को पहचान दिलाने वाला एक मंच है। विश्वविद्यालय ने इस मंच से हरियाणवी संस्कृति को नई पहचान देने का काम किया है। इसी कड़ी में इस बार सांझी को हरियाणा की प्रसिद्ध कला के रूप में स्थापित करने तथा हरियाणवी बोली को भाषा के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया गया है। जल्द ही इसके सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय पूरे देशभर के विश्वविद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की दृष्टि से तीसरे स्थान पर व सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान पर है।
समारोह में विशिष्ट अतिथि अनूप लाठर व पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. संतराम देसवाल को विश्वविद्यालय की तरफ से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने विशेष रूप से सम्मानित किया। मंच का संचालन युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने किया व रत्नावली उत्सव की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए रत्नावली के बारे में विस्तार से बताया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. ऋषिपाल ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि रत्नावली महोत्सव किसी परिचय का मोहताज नहीं। यह ऐसा मंच है जहां युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है।
इस अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, पूर्व राज्य मंत्री सुभाष सुधा, डॉ. ममता सचदेवा, कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल व उनकी धर्मपत्नी, केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. राकेश कुमार, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, डीन आफ कालेजिज प्रो. ब्रजेश साहनी, जिलाध्यक्ष तेजिन्द्र सिंह गोल्डी, चेयरमेन धर्मवीर मिर्जापुर, सरस्वती हेरिटेज बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच, सुभाष कलसाना, राहुल राणा, धर्मपाल चौधरी, सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. ऋषिपाल, निदेशक प्रो. विवेक चावला, प्रो. सुनील ढींगरा, निदेशक लोक सम्पर्क प्रो. महासिंह पूनिया, प्रॉक्टर प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. संजीव अग्रवाल, सीएसओ डॉ. आनंद कुमार, प्रो. रीटा दलाल, प्रो. कुसुम लता, प्रो. जसबीर ढांडा, प्रो. सुनीता दलाल, प्रो. अनिल मित्तल, सौरभ चौधरी प्रो. दीपक राय बब्बर, लोक सम्पर्क विभाग की उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, उपनिदेशक डॉ. सलोनी पी दिवान, डॉ. गुरचरण सिंह, डॉ. सुशील टाया, डॉ. हरविन्द्र राणा, सहित शिक्षक, विद्यार्थी व कलाकार मौजूद थे।

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