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भारतीय मूल के निवासियों ने ऑस्ट्रेलिया पर्थ में पहली बार निकाली कांवड़ यात्रा।
विनायक कौशिक : संवाददाता मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया।
कुरुक्षेत्र के काफी परिवार बसे है ऑस्ट्रेलिया में।
धर्मनगरी से है विशेष लगाव।
सावन के आखरी सोमवार को रहा काफी उत्साह।
ऑस्ट्रेलिया पर्थ, 8 अगस्त : ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में रहने वाले भारतीय भी अपने संस्कारों को नहीं भूले हैं। विदेशी धरती पर रहते हुए भी वे धार्मिक आयोजन करते रहते हैं। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से 8014 किलोमीटर दूर ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में भगवान शिव के प्रिय माह सावन के उपलक्ष्य में विशाल कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया।मूल रूप से कुरुक्षेत्र के रहने वाले ऑस्ट्रेलिया में रह रहे कर्ण शर्मा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में पहली बार शिव भक्तों द्वारा कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। यह यात्रा सात किलोमीटर का सफर तय करके पर्थ शहर के हिंदू टेंपल में संपन्न हुई। जगह-जगह इस यात्रा का स्वागत किया गया। ऑस्ट्रेलिया के स्थानीय निवासियों ने भी लॉर्ड शिवा के जयकारे लगाए। कई व्रतधारी भारतीय शिव भक्तों ने ढोलक, चिमटा और मंजीरा बजाते हुए भजन मेरा भोला है भंडारी करे नंदी की सवारी… और हे शंभु बाबा मेरे भोले नाथ आदि भजन सुनाए। शिव मंदिर पहुंचकर श्रद्धालुओं ने ओम नमः शिवाय उच्चारण करते हुए रुद्राभिषेक किया।करण शर्मा व शेफाली ने बताया कि वे भगवान भोलेनाथ के भक्त हैं। अपने घर में उन्होंने मासिक शिव पुराण कथा रखी हुई है। इसका भोग को श्रावणी पूर्णिमा को पड़ेगा। इस कांवड़ यात्रा में लोगों का उत्साह देखने लायक रहा। बच्चों और महिलाओं ने भी हाथों में ध्वज लेकर बम-बम भोले के गगनभेदी जयकारे लगाए। उनका परिवार जब भी कुरुक्षेत्र आता है तो महाभारतकालीन स्थाण्वीश्वर महादेव के दर्शन जरूर करता है।उन्होंने यह भी बताया कि आज वे जिस मुकाम पर है वह भगवान शिव के आशीर्वाद से ही मिला है। अपने जीवन में भगवान शिव की अनुकंपा महसूस की है। कांवड़ यात्रा के पश्चात टेंपल में भंडारे का आयोजन किया गया। इस आयोजन में हरियाणवी एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और राधा कृष्ण सेवा कुंज के सदस्यों सहित तरुण खेतरपाल, कल्याणी, गुरविंद्र सिंह, आशीष गुलाटी, साम्या गोयल, प्रदीप कुमार, रणदीप कल्याण, अल्पना, गोल्डी, वीरेंद्र , सोनिया, कृतिका, अमित, शिखा, संदीप व सुनीता सहित अन्य शामिल रहे। सभी सदस्यों ने बताया कि इस अनुष्ठान से उन्हें आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई है। उन्होंने निर्णय लिया कि प्रत्येक वर्ष वे श्रावण माह में इस कांवड़ यात्रा का आयोजन करते रहेंगे।