Uncategorized

पिहोवा के गोविंदानंद आश्रम में शालिग्राम और तुलसी का होगा विवाह

देवोत्थान देवउठनी एकादशी: इस दिन से शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य, तुलसी विवाह का भी है विशेष महत्व।

पिहोवा, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक : पिहोवा के श्री गोविंदानंद ठाकुरद्वारा आश्रम में महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज एवं श्री महंत बंशी पुरी जी महाराज के मार्गदर्शन में और आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज के सानिध्य में शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह समारोह बड़े हर्षौल्लास के साथ मनाया जा रहा है। कार्यक्रम शनिवार 1 नवंबर तिलक सांय 4 बजे, मेंहदी रस्म सांय 5 बजे और रविवार 2 नवंबर स्वागत बारात 3 बजे सांय,विवाह शुभारंभ 4 बजे सांय, प्रसाद एवं भंडारा 5 बजे सांय को होगा। षडदर्शन साधुसमाज के संगठन सचिव एवं आश्रम के सह संरक्षक वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि शनिवार 1 नवंबर को प्रातः 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। इसके बाद एकादशी शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कुम्भ राशि में रहेंगे।पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
शनिवार को देवउठनी एकादशी है। स्कंद और पद्म पुराण में देवउठनी एकादशी का विशेष उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस तिथि को श्री हरि चार माह की योग निद्रा से जागृत होते हैं और सृष्टि का संचालन करना शुरू करते हैं और साथ ही इसके बाद से घर-घर में शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकदशी भी कहा जाता है और उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी पूजन और विवाह कराने से कन्यादान जैसा पुण्य प्राप्त होता है और व्रत रखने से भाग्य चमकता है और सभी कार्य सफल होते हैं।
इस दिन पूजा करने के लिए सुबह भोर में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें और उसमें गंगाजल का छिड़काव करें। साथ ही इस दिन पीले वस्त्र धारण करें। अब पूजा स्थल पर गाय के गोबर में गेरु मिलाकर भगवान विष्णु के चरण चिह्न बनाएं और नए मौसमी फल अर्पित करें। अब दान की सामग्री, जिनमें अनाज और वस्त्र हैं, अलग से तैयार करें।
दीपक जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और शंख-घंटी बजाते हुए ‘उठो देवा, बैठो देवा’ मंत्र का उच्चारण करें, जिससे सभी देवता जागृत हों। पंचामृत का भोग लगाएं। अगर आप व्रत रखते हैं तो तिथि के अगले दिन पारण करते समय ब्राह्मण को दान दें। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि पिछले कई वर्षों से श्री गोविंदानंद आश्रम में शालिग्राम तुलसी विवाह समारोह में नगर के साथ दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु आश्रम में विवाह समारोह में भाग लेते है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel