कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत कथा एवं गायत्री महायज्ञ अनुष्ठान आरंभ।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरूक्षेत्र,19 अक्तूबर : सन्निहित सरोवर स्थित दुःखभंजन महादेव मंदिर में बुधवार को श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ एवं गायत्री जप महायज्ञ अनुष्ठान आरंभ हुआ जोकि मंगलवार, 25 अक्तूबर तक चलेगा।सूर्यग्रहण के उपलक्ष्य में आयोजित इस अनुष्ठान में प्रतिदिन दोपहर 3 से 5.30 बजे तक विख्यात भागवताचार्य शुकदेव महाराज द्वारा श्रीमद् भागवत कथा करवाई जा रही है। कथा समापन दिवस मंगलवार 25 अक्तूबर को सांय 5.30 बजे श्रीमद् भागवत कथा को विश्राम दिया जाएगा तत्पश्चात विशाल भंडारे के साथ यह अनुष्ठान संपन्न होगा।आज शुभारंभ दिवस बुधवार सुबह सर्वदेव पूजन के साथ-साथ 51 ब्राह्मणों द्वारा सवा लाख गायत्री मंत्र जाप आरंभ हुआ।
अनुष्ठान में एडवोकेट मनमोहन शर्मा, डॉ. शालिनी शर्मा,जय कुमार शर्मा, मोहन भारद्वाज, रोजी शर्मा और हेमराज परिवार आदि यजमानों ने पूजा अर्चना की।गायत्री मंत्र की महिमा बताते हुए भागवताचार्य शुकदेव महाराज ने कहा कि इस मंत्र के जाप से ग्रहण के दौरान व्यक्ति पर पड़ने वाली नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इसके जप से आप अपने शत्रुओं पर विजय पा सकते हैं। अगर शत्रु का दमन करना चाहते हैं तो सूर्य ग्रहण के दौरान इस मंत्र का एक माला जरूर जाप करें।गायत्री महामंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसकी महत्ता ‘ऊँ’ के बराबर मानी जाती है।इस मंत्र में सूर्य की उपासना है, इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। ‘गायत्री’ एक छन्द भी है जो ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में एक है।’ऊँ’ आध्यात्मिक जागरण का मूल मंत्र है, जिसके उच्चारण के बिना कोई भी साधना सफल नहीं मानी जा सकती है।गायत्री मंत्र का गहरा दार्शनिक रहस्य है।भगवान सूर्य की उपासना करना गायत्री मंत्र की विशेष महिमा है, जिसमें साधक सूर्य से बौद्धिक एवं आत्मिक आलोक की कामना करता है।गायत्री मंत्र का अर्थ है कि मैं सूर्य देवता के उस श्रेष्ठ तेज का ध्यान करता हूं,जो हमारी बुद्धि को नित्य नई प्रेरणा देता है।यह आदि देवी मंत्र में एक है, जिसकी साधना में साधक तन्मय होकर असीम सुख-समृद्धि की अनुभूति करता है। इसे सावित्री मंत्र भी कहा गया है, क्यों कि इसमें सूर्य की उपासना है।
पुत्री कर रही अनुष्ठान में पुत्र का कर्तव्य।
गायत्री जप अनुष्ठान के यजमान मनमोहन शर्मा एडवोकेट की तीन बेटियां हैं, बेटा नहीं है। उनकी सबसे बड़ी बेटी डॉ. शालिनी शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर हैं और माता पिता की देखभाल का कार्य बखूबी करती हैं।वर्ष 2016 से 2022 तक उन्हें 5 गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ा और उनकी बेटी डॉक्टर शालिनी ने समाज में एक उदाहरण पेश किया पिता की सेवा करके (पीजीआई चंडीगढ़ एवम मैक्स में ) उन्होंने बेटियों को प्रेरणा दी। उनकी पत्नी संतोष शर्मा भी समाज सेवा में आगे रहती हैं। डॉ. शालिनी का कहना है कि जो समाज माता पिता से मुंह मोड़ता है, या बेटी होने पर असुरक्षित अनुभव करता है,वो ये समझ लें कि बेटियां चाहें तो माता पिता को सुरक्षित रख सकती हैं, और अपने कर्तव्य को निभा सकती हैं। शर्मा जी की दो अन्य पुत्रियां सपना और नेहा हैं।