वर्तमान युग में प्राचीन भारतीय खाद्य संस्कृति का विशेष महत्व : प्रो. सोमनाथ सचदेवा

वर्तमान युग में प्राचीन भारतीय खाद्य संस्कृति का विशेष महत्व : प्रो. सोमनाथ सचदेवा।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुवि कुलपति ने किया “मिलेट्सः एक्सप्लोरिंग द क्यूलिनरी डिलाइट्स एंड न्यूट्रिशनल पावर ऑफ अवर एंशिएंट सुपर ग्रेन“ पुस्तक का विमोचन

कुरुक्षेत्र, 12 सितम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा है कि वर्तमान युग में प्राचीन भारतीय खाद्य संस्कृति का विशेष महत्व है। प्राचीन भारतीय अनाजों में शामिल बाजरे सहित अन्य मिलेट्स का चलन फिर से शुरू हो चुका है। वे मंगलवार को कुलपति कार्यालय में गृहविज्ञान विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर तरविंदर जीत कौर, शोधार्थी महक वर्मा व समृद्धि शर्मा द्वारा लिखित “मिलेट्सः एक्सप्लोरिंग द क्यूलिनरी डिलाइट्स एंड न्यूट्रिशनल पावर ऑफ अवर एंशिएंट सुपर ग्रेन“ पुस्तक के विमोचन अवसर पर बधाई देते हुए बोल रहे थे। कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ ने कहा कि इस प्रकार की पुस्तकों के माध्यम से भारतीय व्यजंनों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों, न्यूट्रिशियन एवं मिलेट्स आधारित रेसिपी के बारे में अहम जानकारी मिलेगी। इस अवसर पर कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि केयू गृह विज्ञान विभाग समय-समय पर मिलेट्स आधारित कैफेटेरिया का सफल आयोजन कर भारतीय प्राचीन खाद्य संस्कृति को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है।
गृह विज्ञान विभाग की प्रोफेसर तरविंदर जीत कौर, शोधार्थी महक वर्मा व समृद्धि शर्मा द्वारा लिखित इस पुस्तक में 50 बाजरा आधारित व्यंजनों का संग्रह है जिसमें पेय पदार्थ, मुख्य व्यंजन, ऐपेटाइज़र और डेसर्ट शामिल हैं जिन्हें विभिन्न प्रमुख और छोटे बाजरा का उपयोग करके विकसित किया गया है। प्रो. तरविंदर जीत कौर ने बताया कि इस पुस्तक में बाजरा का उपयोग करके विकसित इन व्यंजनों के पोषक मूल्य की तुलना उनके सामान्य समकक्षों से भी की गई है। इसके साथ ही पुस्तक में मिलेट्स के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने के लाभों के बारे में भी बताया गया है।
इस अवसर पर गृह विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ. देवेन्द्र कुमार, डॉ. सुमन बाला, शिवानी जैन व निशु राणा उपस्थित रहे।

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