सफलता की कहानी
आदिवासी महिला ने स्वरोजगार से बदली अपनी तकदीर

उत्तर बस्तर कांकेर, 16 अक्टूबर 2025/ शासन की छोटी सी मदद से किसी परिवार में बड़ा और सकारात्मक बदलाव आ जाता है, जो वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी सशक्त और आत्मनिर्भर बना देती है। ऐसा ही एक उदाहरण जिले के अंतागढ़ विकासखण्ड के ग्राम पोण्डगांव की रहने वाली श्रीमती शारदा उसेंडी ने प्रस्तुत किया है, जिन्होंने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि समाज के लिए एक बेहतर मिसाल भी पेश की है।
बारहवीं तक शिक्षित श्रीमती उसेंडी पहले अपने छोटे से किराना दुकान और थोड़ी-बहुत खेती के सहारे जीवनयापन कर रही थीं, लेकिन आय सीमित होने के कारण आर्थिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हो पा रहा था। इसी बीच उन्हें जिला अंत्यावसायी विभाग कांकेर के माध्यम से यह जानकारी मिली कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए “आदिवासी स्वरोजगार योजना“ के तहत ऋण सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने तत्परता दिखाते हुए विभाग में आवेदन किया। विभाग द्वारा उनके आवेदन को भारतीय स्टेट बैंक अंतागढ़ भेजा गया, जहां से उन्हें 01 लाख रूपए का ऋण स्वीकृत हुआ। इसके साथ ही विभाग की ओर से 10 हजार रूपए का अनुदान भी दिया गया। इस सहायता से उन्होंने अपने किराना व्यवसाय को विस्तार दिया। श्रीमती उसेंडी ने बताया कि आज उनके स्टोर्स से प्रति माह 05 से 07 हजार रूपए तक की शुद्ध आमदनी हो रही है। उनके पति और बच्चे भी इस व्यवसाय में पूरा सहयोग कर रहे हैं। साथ ही नियमित रूप से बैंक की किश्तें चुकाने के साथ-साथ उन्होंने अपने दोनों बेटों की शिक्षा पूरी करवाई है और उनकी पुत्री वर्तमान में कॉलेज में अध्ययनरत है।
श्रीमती शारदा उसेंडी बताती हैं- “इस व्यवसाय से हमारी पारिवारिक स्थिति पहले की तुलना में कहीं बेहतर हुई है। अब हम आत्मनिर्भर हैं और भविष्य को लेकर आश्वस्त भी।” उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन के अंत्यावसायी विभाग कांकेर के प्रति आभार जताते हुए अन्य आदिवासी युवक-युवतियों से भी अपील की है कि वे इन योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर अवश्य बनें।