सुप्रीम कोर्ट ने अंकिता मर्डर केस की सीबीआई जांच संबंधी याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने अंकिता मर्डर केस की सीबीआई जांच संबंधी याचिका खारिज की,
सागर मलिक
सुप्रीम कोर्ट ने अंकिता मर्डर केस की सीबीआई जांच सम्बन्धी याचिका खारिज की
वकील कोलिन गोंजाल्विस ने पत्र में लिखा, सॉरी अंकिता
पुलिस टीम ने तथ्यपरक जांच की’
वीआईपी का नहीं होगा खुलासा,
उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग सम्बन्धी याचिका को खारिज कर दिया।
उधर, सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर जांच टीम ने तथ्यपरक जांच की है। और सभी बातों को जांच में समाहित किया गया है। आरोपी जेल में हैं। मामला कोर्ट में है।
गौरतलब है कि 18 सितम्बर 2022 को अंकिता की हत्या के बाद प्रदेश भर में विरोध की आग भड़क उठी थी। सीबीआई जांच और वीआईपी के खुलासे को लेकर जनता सड़कों पर उतर आई थी।
मौजूदा समय में अंकिता हत्याकांड की जांच कोटद्वार की एडीजे कोर्ट में चल रही है। हत्याकांड में भाजपा नेता के पुत्र समेत तीन आरोपी पौड़ी जेल में बंद हैं।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अंकिता के लिए न्याय की जंग लड़ रहे संगठनों को विशेष धक्का लगा है।
सुप्रीम कोर्ट में अंकिता हत्याकांर की सीबीआई जांच की जंग लड़ रहे वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने अंकिता से माफी मांगते हुए एक भावुक पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में कहा- “मुझे खेद है, अंकिता कि आपकी हत्या की सीबीआई जांच की मांग करने वाले सुप्रीम कोर्ट में आपके मामले का निपटारा कर दिया गया और हम अभी तक मुख्य अपराधी को पकड़ने में कामयाब नहीं हुए हैं। मुझे खेद है सोनी देवी, आपकी प्यारी बेटी की हत्या के लिए एक वीआईपी ने होटल में काम करने वाली एक छोटी लड़की अंकिता से विशेष सेवाएं मांगी। उसके इनकार के कारण उसकी हत्या हो गई।
उन्होंने लिखा अंकिता और उसके दोस्त पुष्पदीप के बीच व्हाट्सएप चैट जिसमें उसने शिकायत की थी कि एक वीआईपी उसके होटल में आ रहा था और उससे विशेष सेवाओं की मांग कर रहा था, उसे उत्तराखंड पुलिस ने चार्जशीट से हटा दिया। उसके दोस्त पुष्पदीप और वीआईपी के सहयोगी के बीच स्विमिंग पूल में हुई बातचीत का चार्जशीट में उल्लेख नहीं किया गया, जबकि पुष्पदीप ने पुलिस द्वारा दिखाए गए फोटो के आधार पर सहयोगी की पहचान की थी।
सहयोगी अपने बैग में नकदी और हथियार लेकर जा रहा था और फिर भी उसे न तो आरोपी बनाया गया और न ही पुलिस ने उससे पूछताछ की। होटल कर्मी अभिनव का यह बयान कि अंकिता को जबरन बाहर निकालकर हत्या करने से पहले वह अपने कमरे में रो रही थी, चार्जशीट में उल्लेख नहीं किया गया। जिस कमरे में अंकिता रुकी थी, उसकी प्रयोगशाला की फोरेंसिक रिपोर्ट को कभी भी चार्जशीट में संलग्न नहीं किया गया। अपराध स्थल यानी जिस कमरे में वह रुकी थी, उसे तुरंत ध्वस्त कर दिया गया। वीआईपी से बातचीत कर रहे होटल के कर्मचारियों का मोबाइल फोन कभी जब्त नहीं किया गया।
मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने अब ट्रायल कोर्ट से खुद का नार्को विश्लेषण करने का अनुरोध किया है, जिससे संकेत मिलता है कि वह घटनाओं के बारे में साफ-साफ बताने के लिए तैयार हैं, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने आवेदन को खारिज करके समय से पहले ही मामले को खत्म कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि मामले के मुख्य आरोपी वीआईपी को पकड़े बिना याचिका का निपटारा कर दिया गया। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज या कर्मचारियों के मोबाइल फोन प्राप्त करने के लिए उठाए गए प्राथमिक कदम भी मुख्य अपराधी की पहचान उजागर कर देंगे
पुलिस ने वीआईपी की पहचान छिपाई है। सीबीआई को जांच अपने हाथ में लेने और आगे की जांच करने का निर्देश देकर इस बाधा को दूर किया जा सकता था। उन्होंने अंत में लिखा-“क्षमा करें अंकिता। यह भारत है। आम महिलाओं की जिंदगी मायने नहीं रखती। और उच्च और शक्तिशाली लोग बार-बार बच निकलेंगे।”
सीबीआई जांच की मांग खारिज होने के बाद घटना से जुड़े वीआईपी के खुलासे पर भी पर्दा पड़ा रहेगा।
गौरतलब है कि पौड़ी जिले के गंगा-भोगपुर में वनंतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी के कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या कर दी गयी। इस मामले में एक वीआईपी को एक्स्ट्रा सर्विस देने के मामले में अंकिता भंडारी पर दबाव बनाया गया था।
इस मामले के प्रमुख अभियुक्त पुलकित आर्य (रिज़ॉर्ट के मालिक), अंकित गुप्ता (रिज़ॉर्ट के सहायक प्रबंधक) और सौरभ भास्कर (रिज़ॉर्ट के प्रबन्धक) हत्या की बात कबूल कर ली है और उन पर अपहरण और हत्या के आरोप में कोटद्वार कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।