उन्नत भारत अभियान का उद्देश्य शिक्षित भारत, सक्षम भारत, स्वस्थ भारत, सम्पन्न भारत तथा आत्मनिर्भर निर्भर भारत का निर्माण करना : प्रो. वीरेन्द्र कुमार विजय

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

दुनिया का अधिकांश ज्ञान लोगों के रोजमर्रा के अनुभवों में : प्रो. राजेश टंडन।
स्वरोजगार ही रोजगार का सर्वश्रेष्ठ माध्यम : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा।
केयू में उन्नत भारत अभियान 2.0 के तहत तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ।

कुरुक्षेत्र, 19 जुलाई : उन्नत भारत अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. वीरेन्द्र कुमार विजय ने कहा कि उन्नत भारत अभियान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को समृद्ध करने हेतु तैयार किया गया मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षित भारत, सक्षम भारत, स्वस्थ भारत, सम्पन्न भारत तथा आत्मनिर्भर निर्भर भारत का निर्माण करना है। वे मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के उत्तरी क्षेत्रीय केंद्र, द्वारा उन्नत भारत अभियान 2.0 के तहत समुदाय आधारित भागीदारी अनुसंधान (सीबीपीआर) में आवासीय मास्टर प्रशिक्षकों के लिए 19-21 जुलाई, 2022 तक आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस पहले दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
प्रो. वीरेन्द्र कुमार विजय ने कहा कि उन्नत भारत अभियान का मिशन उच्च शिक्षण संस्थानों को ग्रामीण भारत के लोगों के साथ काम करने में सक्षम बनाना है ताकि विकास चुनौतियों की पहचान की जा सके और सतत विकास में तेजी लाने के लिए उपयुक्त समाधान विकसित किया जा सके । उन्होंने कहा कि हमारा भारत देश गाँव में बसता है और भारत के विकास के लिए सबसे जरुरी है की हम यहाँ बसने वाले गाँव का विकास पहले करें। उन्नत भारत अभियान के तहत गाँव को उन्नत बनाने के लिए वहां के बुनियादी विकास और शिक्षा पर ज़ोर दिया गया है। शिक्षण संस्थानों द्वारा गाँव के विकास से सम्बंधित स्थानीय आर्थिक, समाजिक व अन्य समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा। इस बात का भी प्रयास रहेगा की जो भी गाँव अभी तक विकसित नहीं हो पाए है या आज भी बाकी गाँव की अपेक्षा पिछड़े हैं उनके विकास पर ज़ोर दिया जाए। इस योजना के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों व विभिन्न डिपार्टमेंट को गाँव की वास्तविकताओं से परिचय कराना है ताकि सभी उसे बेहतर समझ सकें और विकास के लिए अपना योगदान भी दे सकें। इस अभियान के अंतर्गत उच्च शिक्षा संस्थानों को गाँव से जोड़ा जा रहा है जहाँ वो अपने ज्ञान के आधार पर गाँव के विकास में भागीदार बन सकें। उच्च शिक्षा संस्थान ज्यादा से ज्यादा जिलों में पहुंचकर विकास कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।
प्रो. राजेश टंडन, पार्टिसिपेटरी रिसर्च इन एशिया के फाउंडर प्रेसिडेंट व यूजीसी एक्सपर्ट मेम्बर ने बतौर मुख्य रिसोर्स पर्सन कहा कि कोरोना काल में कष्ट तो बहुत हुआ लेकिन बहुत कुछ सीखने को भी मिला। उन्होंने कहा कि दुनिया का अधिकांश ज्ञान लोगों के रोजमर्रा के अनुभवों में है। उन्होंने कहा कि यदि स्थानीय अनुभव के आधार पर समस्याओं को समाधान नहीं होगा तो पर्यावरण परिवर्तन जैसी समस्याओं को सामना करना पडे़गा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में समाज से सीखने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि उन्नत भारत अभियान का उद्देश्य गांव का ज्ञान विश्वविद्यालयों में लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लैब से सीखे ज्ञान को फील्ड में तथा फील्ड की समस्याओं को लैब में ले जाने की बात भी कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि ग्रामीण विकास पर आधारित पाठ्यक्रम समय की मांग है जिससे उन्नत भारत अभियान पूर्ण होगा। भारत कृषि प्रधान देश है जिसकी 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र की तरह ग्रामीण क्षेत्र के समग्र विकास के लिए काम करने की जरूरत है। कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि उन्नत भारत अभियान का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों के संसाधनों द्वारा युवाओं को कौशलयुक्त कर गांव, समाज एवं राष्ट्र के विकास में अहम योगदान देना है ताकि भारत फिर से विश्व गुरु बन सके। उन्होंने कहा कि विश्व में भारत सबसे युवा देश है जहां 15-29 आयु वर्ग के 37 करोड़ युवा है। युवा पीढ़ी की उर्जा को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ राष्ट्र निर्माण में लगाना होगा। उन्होंने कहा स्वरोजगार ही रोजगार का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है तथा स्व-रोजगार से ही युवा शक्ति का सम्यक, स्वाभिमानी, उत्पादक उपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि केवल 2 प्रतिशत जॉब ही सरकारी है, वहीं 7.5 प्रतिशत कॉरपोरेट सेक्टर, 15 से 20 प्रतिशत कैजुअल/कोंट्रेक्टर वर्क है तथा लगभग 80-90 प्रतिशत स्वरोजगार द्वारा ही रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि युवा विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करके कई वर्ष नौकरी पाने के लिए गंवाता है। युवा पीढ़ी को जॉब मांगने वाला नहीं बल्कि देने वाले की भावना को जागृत करने की आवश्यकता है। इसके लिए युवाओं की सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।
कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने इसी वर्ष के शैक्षणिक सत्र 2022-23 से सभी यूजी कोर्सिज को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लागू करने जा रहा है। वहीं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में इस दो क्रेडिट स्कोर प्रोग्राम को लगाने के लिए पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर प्रस्तावित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुवि ने 6 गांव को गोद लिया है जिसमें कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि एक गांव में सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया है जिससे वहां की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहयोग मिला है।
मानव संसाधन विकास केन्द्र की निदेशिका व डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. मंजूला चौधरी ने सभी अतिथियों को स्वागत करते हुए कहा कि उन्नत भारत अभियान योजना का उद्देश्य देश के गावों के विकास के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं को ग्राम विकास का भागीदार बनाना है। उच्च शिक्षण संस्थान अपने ज्ञान व अनुभव के माध्यम से गाँव की समस्याओं का व्यावहारिक हल निकाल सकें।
इस मौके पर यूजीसी की उप-सचिव डॉ. दीक्षा राजपूत तथा प्रो. नटराजन ने ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। केयू के मानव संसाधन विकास केन्द्र के कोऑर्डिनेटर डॉ. सुनील ढुल ने इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। अंत में प्रो. वनिता ढींगरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन डॉ. नीरज बातिश ने किया।
इस मौके पर कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, एनआईटी से प्रो. सतहंस, यूबीए से डॉ. सुमित कुमार, डॉ. अंशुमन केरन, डॉ. नरेश सागवाल, डॉ. कमल बिजलानी, डॉ. विक्रम खरब, नीति आयोग से डॉ. भावना कोहली, लिनू राहेल चाको, डॉ. हितेश मानिक, डॉ. मनीषा संधू, डॉ. विजेन्द्र बजाड़, डॉ. दिनेश धनखड़, सहित अन्य शिक्षक प्रतिभागी मौजूद थे।

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