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माधोपुर महोत्सव में उत्सव उपनिषद् की रचना हुई : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

माधोपुर महोत्सव में उत्सव उपनिषद् की रचना हुई : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

मुरथल : समर्थगुरु मैत्री संघ, हिमाचल प्रदेश के स्टेट कोऑर्डिनेटर आचार्य कुंजबिहारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 17-19 फरवरी सुरति योग और हंस प्रज्ञा कार्यक्रम आयोजित हुआ। 20-22 फरवरी निरति योग और मैत्री प्रज्ञा कार्यक्रम हुआ।
17 से 22 फरवरी, समर्थगुरू के सान्निध्य में माधोपुर महोत्सव में होने वाले कार्यक्रम में हिमाचल साधकों के साथ और भारत के विभिन्न राज्यों के 120 से ज्यादा साधकों ने परिवार और मित्रों सहित बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उत्सव उपनिषद् के सूत्रों को अपने जीवन में अपनाया। समर्थगुरू धाम के संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा उत्सव उपनिषद की रचना विश्व कल्याण हेतु हुई। संसार में दुःख है। दुख से मुक्त होकर सुखी हुआ जा सकता है फिर उत्सव में हम सभी रह सकते है। हृदय में प्रेम भाव की मुख्य भूमिका है। बिना किसी कामना के दूसरे को देने का भाव प्रेम है। परमात्मा प्रेम है और प्रेम ही परमात्मा है।
समर्थगुरू संघ हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि परमात्मा की कृपा से ही सच्चे और प्यासे साधक के जीवन में ही पूर्ण सदगुरू आते है और साधना करवाते है। साधना में साधक को अनुभव होता है। सद्गुरु और भगवान से निरन्तर प्रेम बढ़ता है।
ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि अध्यात्म में दिशा तो है, मन्ज़िल नहीं है। हां, विश्राम है, परम विश्राम है। लेकिन फिर भी तुम मन्ज़िल जानने की जिद्द ही कर बैठे, तो मैं कहूँगा कि सद्गुरु का चरणकमल ही अध्यात्म की मन्ज़िल है।
‘गुरु चरण में हो तुम्हारी, ज़िन्दगी का आशियां।’
यदि समस्या अभी वर्तमान में है तो इसे चुनौती की तरह लें। इससे आप में उमंग जगेगी, समाधान निकलेगा।

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