Uncategorized

सद्गुणों की खान थे श्रद्धेय प्रकाश लाल : ओम प्रकाश

सद्गुणों की खान थे श्रद्धेय प्रकाश लाल : ओम प्रकाश।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

भारतीय योग संस्थान के संस्थापक श्रद्धेय प्रकाश लाल को जन्म जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।

कुरुक्षेत्र1 मार्च : भारतीय योग संस्थान (पंजीकृत), मुख्यालय रोहिणी, दिल्ली के संस्थापक श्रद्धेय स्वर्गीय प्रकाश लाल की जन्म जयंती आज पूरे भारतवर्ष में ही नहीं विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा, प्रेरणा एवं हर्षोल्लास के साथ विभिन्न योग कार्यक्रम आयोजित करके मनाई गई। संस्थान की केंद्रीय कार्यकारिणी के आह्वान पर हरियाणा प्रांत इकाई द्वारा भी प्रदेश भर में स्थापित अपने निशुल्क योग साधना केन्द्रों पर प्रकाश दिवस पर श्रद्धेय प्रकाश लाल को श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतु कार्यक्रम आयोजित किए गये। कुछ योग जिलों द्वारा नए योग साधना केन्द्र स्थापित कर श्रद्धेय प्रकाश लाल को समर्पित किये गये हैं। कई स्थानों पर ध्यान योग शिविर, सांस्कृतिक कार्यक्रम, श्रद्धेय प्रकाश लाल की जीवनी एवं दर्शन पर व्याख्यान इत्यादि कार्यक्रम आयोजित किए गए। कुरुक्षेत्र में द्रोणाचार्य स्टेडियम स्थित योग भवन केंद्र पर संस्थान की हरियाणा प्रांत इकाई के प्रेस प्रवक्ता गुलशन कुमार ग्रोवर ने श्रद्धेय प्रकाश लाल के जीवन, चरित्र और विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए उन्हें एकनिष्ठ राष्ट्रभक्त, सच्चा समाजसेवी, आत्मस्वाभिमानी, दृढ़ निश्चयी, अनुशासन प्रिय बताते हुए अनेक अद्वितीय मानवीय गुणों की खान बताया। हरियाणा प्रांत इकाई के प्रधान ओमप्रकाश ने बताया कि श्रद्धेय प्रकाश लाल कर्मठता, सरलता, निश्चलता, निष्कपटता, विन्रमता, अडिगता, निर्भीकता, अनथकता व जीवंतता की प्रतिमूर्ति थे। वह सभी साधकों विशेष कर मातृशक्ति का बहुत अधिक सम्मान करते थे और अपना संबोधन पूजनीय मातृशक्ति से ही आरंभ करते थे।
उन्होंने आगे बताया कि जब प्रकाश लाल जी विभाजन के समय लगभग 70,000 साथियों को पाकिस्तान के सरगोधा से भारत लाए थे और भारत में उनके पुनर्वास की व्यवस्था की थी, तभी पूत के पांव पालने में दिख गए थे।
10 अप्रैल 1967 को अपने साथी श्रद्धेय जवाहर लाल के साथ दिल्ली में भारतीय योग संस्थान पंजीकृत के पहले निशुल्क योग साधना केंद्र की स्थापना करने वाले युग पुरुष श्रद्धेय प्रकाशलाल का जन्म 1 मार्च 1921 को सरगोधा पाकिस्तान में हुआ था। जब वे 6 माह के थे तभी उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया था। इतना संघर्षपूर्ण जीवन होने के बावजूद उनमें कार्य करने का भरपूर उत्साह था। प्रकाशलाल जी ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने अपनी अथक मेहनत व् विश्वास से भारतीय संस्कृति की धरोहर योग को घर घर तक पहुँचाने की ठानी। योग शिक्षकों को देश विदेश में केंद्र खोलने के लिए भेजा । उनकी मेहनत का ही प्रतिफल है कि आज भारतीय योग संस्थान के देश विदेश में 4200 से अधिक निशुल्क योग साधना केंद्र चल रहे हैं। प्रकाशलाल ने “सर्वे भवन्तु सुखिनः” व “वसुदेव कुटुम्बकम” को संस्थान का आदर्श बनाया। संस्थान के ध्येय वाक्य जीओ और जीवन दो को उन्होंने अंत तक जीया।
श्रद्धेय प्रकाशलाल का अंतिम सन्देश था – संस्थान ऐसे कार्यक्रताओं का निर्माण करना चाहता है जो लेटे को बैठा दे, बैठे को खड़ा कर दे और खड़े को दौडा दे। दूसरों मे प्राण फूंक दे अर्थात दूसरे का प्रेरणा स्रोत बन जाए । 30 जुलाई 2010 को श्रद्धेय प्रकाश लाल जी योग के ईश्वरीय कार्य को आगे बढ़ाते हुए इस नश्वर देह को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए ।
वर्तमान में संस्थान के अखिल भारतीय प्रधान योग रत्न देसराज, महामंत्री ललित गुप्ता जी, केंद्रीय कार्यकारिणी एवं सभी प्रांत कार्यकारिणियों के सदस्य, कार्यकर्ता एवं साधकगण श्रद्धेय प्रकाश लाल जी के सपने को पूरा करने में सच्ची मेहनत और लगन से कार्य कर रहे हैं । जिन्होंने जीवन पर्यंत अपने गले में उपहार स्वरूप फूल माला भी नहीं डलवाई, ऐसे युगप्रवर्तक के महान चरणों में कोटि-कोटि नमन।
प्रांत के सभी जिलों से भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के समाचार प्राप्त हुए हैं। पूरे हरियाणा प्रांत में श्रद्धा, प्रेरणा एवं उत्साह का वातावरण रहा।
श्रद्धेय प्रकाश लाल जी, संस्थापक, भारतीय योग संस्थान (पंजीकृत)।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button