दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस का आरंभ विधिवत पूजन से किया गया

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस का आरंभ विधिवत पूजन से किया गया

कथा की समाप्ति पर स्वामी धीरानंद जी ने सभी धार्मिक,सामाजिक संस्थाओं एवं सभी सहयोगी सज्जनों का धन्यवाद किया

फिरोजपुर 20 फरवरी [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गौशाला श्री संत महेश मुनी जी बोर वाले कोटकपूरा में आयोजित सात दिवसीय श्री मदभागवत कथा के सप्तम दिवस का आरंभ विधिवत पूजन से किया गया जिसमें सुरेंद्र कटारिया एवं पूर्ण चंद मित्तल ने भाग लिया। कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण और रुकमणी जी का विवाह प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया यह विवाह कोई साधारण विवाह नहीं था। रुकमणी जी प्रतीक हैं जीवात्मा की और भगवान श्री कृष्ण प्रतीक हैं परमात्मा का। यह विवाह आत्मा व परमात्मा के मिलन का संकेत है। लेकिन यह मिलन कब संभव हो पाया? जब मध्य में ब्राह्मणदेव रूपी गुरु आए। क्योंकि एक गुरु ही है जो हमारे अंतः करण में उस ईश्वर का साक्षात्कार करवा कर हमारी आत्मा का मिलन उस परमात्मा के साथ करवा सकते हैं।
आगे कथा में साध्वी जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जी ने रुकमणी की प्रार्थना सुनी और उसे पूर्ण भी किया, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण नारी उद्धारक हैं। वह किसी नारी पर होते हुए अत्याचार को नहीं देख सकते। आज हम भगवान श्री कृष्ण के भक्त तो कहलाते हैं लेकिन उनसे प्रेरणा नहीं ले पाते। आज समाज में नारी की स्थिति देखी जाए तो अत्यंत दयनीय है। आज के समाज में नारी शोषण, शीलभंग, अपहरण, दहेज प्रथा, व कन्या भ्रूण हत्या इत्यादि कुरीतियों का शिकार हो रही है। आज आवश्यकता है नारी के प्रति समाज में जाग्रति पैदा की जाए।
साध्वी जी ने बताया की जब श्रीगुरु आशुतोष महाराज जी ने समाज में नारी की ऐसी दयनीय दशा देखी तो संस्थान की ओर से महिलाओं के लिए एक प्रकल्प चलाया गया। ‘संतुलन’। संस्थान का यह प्रकल्प महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न व हिंसा के खिलाफ एक बुलंद आवाज है। इसके अंतर्गत समय-समय पर संस्थान के द्वारा अनेकों कार्यक्रमों के माध्यम से समाज के लोगों को जाग्रत करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। साथ ही साथ नारियों को ब्रह्म ज्ञान के द्वारा आंतरिक रुप से सशक्त किया जा रहा है। क्योंकि जब एक नारी भीतर से जागेगी तो स्वयं ही अपनी स्थिति को सुधार पाएगी। केवल नारी ही नहीं जाग्रति हेतु संपूर्ण समाज को ब्रह्म ज्ञान की महती आवश्यकता है। कथा में उपस्थित मुख्य यजमान शिवजी राम गोयल (प्रमुख समाजसेवी), तीर्थ राम वर्मा (जिला संघ चालक फरीदकोट), सरदार मंतार सिंह बराड़, रवि जी (जिला प्रचारक फिरोजपुर), अशोक बहल, नरेश कुमार कुकरेजा, सतपाल अरोड़ा (निरोग बाल आश्रम), डॉ एन. आर. गुप्ता फरीदकोट, राजकुमार रावल इत्यादि के द्वारा ज्योति प्रज्वलित की रस्म को अदा किया गया। गौशाला कमेटी श्री गौशाला महेश मुनि (बोरेवाले) श्री अरोड़वंश सभा, धर्म जागरण मंच, श्री ऊषा माता मंदिर कमेटी, बालाजी सेवा मंडल एवं ओम प्रकाश गोयल इत्यादि के द्वारा संत समाज का माल्यार्पण एवम् वस्त्र प्रदान कर अभिनंदन किया गया। शिवजी राम गोयल, कृष्ण गोयल एवं निर्मल बंसल जी ने व्यास पूजन में भाग लिया। कथा का समापन प्रभु की पावन पुनीत आरती से किया गया जिसमें दीपक शर्मा (प्रधान राधा कृष्ण धाम फरीदकोट), संदीप गर्ग, राकेश मोंगा, दविंदर गुप्ता, टीटू कुमार, विद्वान राजजोशी, आशीष सिंगला व कृष्ण कुमार ने भाग लिया। स्वामी धीरानन्द जी ने सभी धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं एवं सभी सहयोगी सज्जनों का धन्यवाद किया। गौशाला कमेटी की ओर से कृष्ण गोयल जी ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा की सफलता के लिए सभी सदस्यों को बधाई दी एवं गौशाला में कथा आयोजन करने के लिए धन्यवाद किया। कथा के अंत में सभी श्रद्धालुओं के लिए लंगर का प्रबंध भी किया गया।

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