बड़े काम की हैं होम्योपैथी की ये 5 दवाएं,,,,, ,,,,,,,,,, डॉक्टर मो सवाब आलम
अररिया
लक्षणों की सही पहचान पर सही दवा पड़ जाए, तो होम्योपैथी जादू के तरह काम करता है, वरना बेकार है । यह कहना है अररिया शहर के युवा होम्योपैथिक डॉक्टर मो सवाब आलम का। डॉक्टर सवाब साहब के मुताबिक आपको अगर होम्योपैथी इलाज कराना हो तो बीमारी के लक्षणों को ठीक से समझकर ,जानकर उपचार करना
होगा।
लक्षणों की सही पहचान पर सही दवा पड़ जाए ,तो होम्योपैथी जादू है,वरना बेकार। आपको होम्योपैथी इलाज कराना हो तो योग्य होम्योपैथी चिकित्सक से मिलकर बीमारी के लक्षणों को ठीक से समझकर डॉक्टर को बताएं। बीमारी कैसे बढ़ती या घटती है, इसे जितना ठीक-ठीक आप बता पाएँगे, उतने ही बेहतर इलाज की सम्भावना बनेगी। कोई मानसिक असामान्य लक्षण घटित हो तो समझिए कि होम्योपैथी आपके लिए चामत्कारिक सिद्ध हो सकती है। किसी दुःखद समाचार से शॉक लग जाए, मन बेक़ाबू होने लगे तो ‘इग्नेशिया’ की सिर्फ़ एक ख़ुराक से भी ठीक हो सकती है। अगर कोई मरीज कहता है कि वह विषाद से भरा हुआ है और उसकी इच्छा बार-बार बस आत्महत्या करने की होती है तो योग्य होम्योपैथी चिकित्सक समझ जाएगा कि यह ‘ऑरम मेट’ का रोगी है। इस दवा की कुछ ख़ुराकें उसे जीवन दे सकती हैं। ऑरम मेट’ यानी गहने वाला सोना। ग़ज़ब है कि सोने को पोटेण्टाइज़ करके होम्योपैथी दवा बनाइए और स्वस्थ व्यक्ति को कुछ दिन नियमित खिलाते रहिए तो वह आत्महत्या पर आमादा हो जाएगा।
आपको इस पैथी पर भरोसा न हो, तो एक प्रयोग कर सकते हैं कि एक-दो दिन देर रात तक जगें और जब ज़्यादा जगने की वजह से सिर में दर्द और भारीपन का एहसास होने लगे तो नक्स वोमिका-30 या 200 की एक-दो बूँद जीभ पर टपका लें। पाँच-दस मिनट में सिरदर्द ग़ायब हो जाएगा तो आपके लिए होम्योपैथी पर विश्वास करना आसान हो जाएगा। नक्स वोमिका यानी कुचला, एक तरह का विष। आयुर्वेद में भी इसका व्यवहार होता है ,एक और आसान प्रयोग कर सकते हैं। अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो भोजन की थाली में नमक अलग से रखवाते हैं। सामान्य से ज़्यादा नमक खाने की आदत वाला कोई मिले तो उसे नमक से ही बनाई गई दवा नेट्रम म्यूर-200 की एक ख़ुराक दे दीजिए। दो-चार दिन बाद नतीजा देखेंगे तो आप आश्चर्यचिकत हुए बिना न रहेंगे।
घर में रखने लायक़ दो-चार दवाओं के नाम जानिए, अच्छा रहेगा
- आर्निका-30 या 200—कोई भी चोट, जिसमें ख़ून न निकला हो, बस मांसपेशियाँ कुचल गई हों, ख़ून जमकर काला पड़ रहा हो, तो ऐसी चोट पर यह ज़बर्दस्त काम करेगी। कुचलन वाला दर्द किसी भी बीमारी में हो, यह काम करेगी। मसलन, ज़्यादा काम करके आप थक गए हों और शरीर में कुचलने जैसा दर्द महसूस हो, तो आपकी थकान भी यह थोड़ी ही देर में उतार देगी।
- कैलेण्डूला-क्यू (मदर टिञ्चर)—कटने-फटने-चोट लगने से ख़ून बहने लगे तो थोड़े पानी में कैलेडूण्ला मिलाकर रुई भिगोकर लगाएँ। थोड़ी देर में ख़ून बन्द हो जाएगा। घाव पर कुछ दिनों तक इसे नियमित दिन में दो-तीन बार लगाते रहें, कोई सङ्क्रमण नहीं होगा और घाव जल्दी ठीक हो जाएगा।
- नक्स वोमिका-30 या 200—ज़्यादा देर तक कुर्सी पर बैठकर काम करने वालों की बीमारियों के लिए यह काम की दवा है। आजकल की तनाव भरी ऐसी जीवनशैली में पेट ख़राब होना आम बात है। अगर दोपहर से पहले कई बार शौच जाने की आदत हो, देर तक शौचालय में जमे रहते हों, तो सोने से पहले कुछ दिन नक्स की एक ख़ुराक लीजिए। 30 पोटेंसी हो तो हर दिन, अन्यथा 200 पोटेंसी हो तो हर तीसरे दिन। सोने से पहले लेने पर यह दवा बढ़िया काम करती है। ज़्यादा पौष्टिक खाना खा लेने से पेट ख़राब हो जाए तो यह समझिए कि इस दवा में प्रभु का वास है। पक्का काम करेगी। ज़्यादा तेल वाली चीज़ें खाने से पेट गड़बड़ हो तो पल्साटिल्ला बढ़िया काम करती है।
- एकोनाइट-30—अचानक कोई बीमारी आक्रमण कर दे, कुछ वजह समझ में न आए, जैसे कि अचानक की छींके और तेज़ सर्दी-जुकाम, यकायक आने वाला बुख़ार…तो इस दवा की कुछ ख़ुराकें दीजिए। एकोनाइट की बीमारी का आक्रमण अचानक होता है। बेचैनी, मौत का डर, पसीना न आना वग़ैरह इसके लक्षण हैं।
- कालीफॉस-3 एक्स या 6 एक्स—यह घर में रखने की नहीं समय-समय पर नियमित इस्तेमाल में लाने की दवा है। जो लोग दिमाग़ी काम ज़्यादा करते हैं, वे कुछ दिन लगातार दिन में तीन-चार बार चार-चार घण्टे के अन्तराल पर चार-चार गोलियाँ खा लें तो दिमाग़ को थोड़ी ऊर्जा मिल जाएगी। बिना किसी बीमारी के दिमाग़ी टॉनिक के तौर लेना हो तो महीने भर लगातार लें, फिर हफ़्ते-दस दिन के लिए बन्द कर दें। कालीफॉस वास्तव में एक तरह की नर्व टॉनिक है। इसका सही उपयोग हो जाए तो दुनिया के आधे पागलख़ाने बन्द हो जाएँगे। बुख़ार बढ़ जाए और दिमाग़ पर चढ़ने का ख़तरा पैदा हो जाए तो कालीफॉस सञ्जीवनी का काम करती है। किसी भी बीमारी में, मसलन सड़न या सङ्क्रमण वग़ैरह की स्थिति में, तेज़ दुर्गन्ध आए तो भी यह दवा बढ़िया असर दिखा सकती है। जिन लोगों को मानसिक तनाव के कारण नींद न आ रही हो, वे भी सोने से पहले इसकी एक-दो ख़ुराक ले सकते हैं। होम्योपैथिक मधुमेह जैसी गंभीर से गंभीर बीमारी के लिए बेहद कारगर बताया । डा सवाब ने बताया कि होम्योपैथिक चिकित्सा डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी के के लिए अचूक इलाज करती है । क्रॉनिक से क्रॉनिक बीमारियों को होम्योपैथी दवाओं से ठीक किया जा सकता है। एलोपेड का साइड इफेक्ट के चलते हैं होम्योपैथीक चिकित्सा की और लोगों का आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है । डॉक्टर साहब ने बताया कि एलोपैथी दवा के प्रयोग से शरीर में अन्य रोगी के उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है । जैसे हॉट एवं किडनी बीमारी उत्पन्न हो जाती है, जबकि यह फैक्ट पता है कि डायबिटीज के मरीजों में 60% मौत का कारण कार्डियोवैस्कुलर डिजीज है तो फिर यह स्पष्ट है कि मरीजों को यह दवा दी जानी चाहिए ,जो शुरुआती दौर में हृदय एवं किडनी की रक्षा कर सकें। इसलिए कि जो भी दवा है, वह ब्लड शुगर के साथ साथ हृदय एवं किडनी जैसी बीमारियों से बचाता है और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है मधुमेह के संकेत और लक्षण के अनुसार दवा का चयन किया जा सकता है, जैसे एसिड फॉस 200 सीजीजीएम, जंबूलिंगम क्यू मेमोरंडीका क्यू अब्रोमा अगस्ता क्यू सेफेलैंड्रा इंडिका क्यू लाइकोपोडियम 200 इक्यूसेतुम 200 शक्ति जैसी अनेक दवाई है जो साइड इफेक्ट से बचा सकती है और लक्षण के अनुसार दवा का चयन किया जा सकता है।
सेडेंटरी लाइफस्टाइल , स्ट्रेस और अनहेल्दी डाइट से हो रही बीमारियां
आज नन कम्युनिकेशनल डिजीज का खतरा बनते जा रहा है । इसमें ओबेसिटी, डायबिटीज , ब्लड प्रेशर ,कार्डियक अरेस्ट जैसी ढेरों बीमारी शामिल है। खास बात यह है कि यह सभी बीमारियां हमारे अनहेल्दी और स्ट्रेस से भरी सेडेंटरी लाइफ़स्टाइल के कारण होती है। लाइफस्टाइल को अगर हम 30 से 40 साल पहले के समय में ले जाएं तो हम आज भी बहुत सारे रोग से बच सकते हैं । यह यक्ष प्रशन है कि इतनी विज्ञानिक उड़ान के बाद भी आज नॉन कम्युनिकेशनल डिजीज को रोकना संभव नहीं दिख रहा । बड़ा कारण है आज हमारा समाज सही भोजन एवं पर्याप्त शारीरिक व्यायाम की महिमा से कोसों दूर हो गया है । हम आज भी बहुत सारे रोग से बच सकते हैं। आज हम जल्दी सोने के बजाय देर से सोने लगे हैं। फूडिंग हैबिट्स को उलटते जा रहे हैं। और स्ट्रेस लेवल लगातार बढ़ता जा रहा है। फिर वह ऑफिस का हो या रिलेशनशिप का इन सभी का नेगेटिव फीडबैक हेल्थ पर पड़ता है।