श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय शरदोत्सव धूमधाम से प्रारम्भ

श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय शरदोत्सव धूमधाम से प्रारम्भ।

सेंट्रल डेस्क – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

उत्तर प्रदेश वृन्दावन : परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय दिव्य व भव्य शरदोत्सव का शुभारंभ अनेक संतों व विद्वानों ने श्रीराधा कृष्ण के चित्र के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्ज्वलित करके एवं पुष्प अर्पित करके किया।
श्रीकृष्ण कृपा धाम के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा शीत ऋतु का विशिष्ट पर्व है।शरद पूर्णिमा का चंद्रमा और उसकी उज्ज्वल चंद्रिका सभी को माधुर्य व आनंद की अनुभूति कराती है। शरद पूर्णिमा की दिव्य व भव्य रात्रि के चंद्रमा की चांदनी में अमृत समाहित होकर पृथ्वी पर बरसता है।
श्रीनाभापीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज व संत प्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा ग्रीष्म ऋतु से शरद ऋतु में प्रवेश का द्वार है।इसे भक्ति व प्रेम के रस का सागर भी माना गया है।शरद पूर्णिमा कन्हैया की वंशी का प्रेम नाद एवं जीवात्मा व परमात्मा के रास रस के आनंद का केंद्र है। इसीलिए इसे लोक कथाओं से लेकर शास्त्रों तक में शुभ व मंगलकारी बताया गया है।
उत्तर प्रदेश शासन के पूर्व गृह सचिव मणिप्रसाद मिश्रा व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि शरद पूर्णिमा जीवन को एक नई प्रेरणा देने के साथ-साथ जीवन के उत्थान का आधार और उसे सही दिशा दिखाने का माध्यम भी है।इसीलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
महामंडलेश्वर स्वामी सत्यात्मानंद महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा जितनी पावन व पुनीत किसी भी ऋतु की कोई रात्रि नहीं है। शरद पूर्णिमा महालक्ष्मी का भी पर्व है।ऐसी मान्यता है कि धन संपति की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।अत: यह लक्ष्मी पूजा का भी पर्व है।
भागवताचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री व आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कि शरद पूर्णिमा की महिमा इतनी अधिक है कि इस तिथि को देवराज इंद्र तक ने मां महालक्ष्मी की स्तुति की थी।क्योंकि महालक्ष्मी धन के अतिरिक्त यश,उन्नति,सौभाग्य व सौंदर्य आदि की भी देवी हैं।
इस अवसर पर भागवताचार्य रसिया बाबा, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,प्रख्यात भजन गायक रतन रसिक,जीओ गीता के महासचिव प्रदीप मित्तल, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, वासुदेव शरण, शक्तिस्वरूप ब्रह्मचारी, पंडित रमेशचंद्र विधिशास्त्री, अशोक चावला, राजेश पंजनी, डी एन बेनीवाल , विष्णु शास्त्री आदि के अलावा विभिन्न प्रांतों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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