फिरोजपुर 22 सितंबर {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम फिरोजपुर में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी श्री सर्वा भारती जी ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने कर्मों को सदैव याद रखना चाहिए, मनुष्य को ऐसे कर्म करने चाहिए, जिनका फल वह भोगना चाहता है। उन्होंने कहा कि हमें मौत से नहीं बल्कि अपने बुरे कर्मों से डरना चाहिए, क्योंकि भगवान ने हमें जितनी सांसें दे कर इस दुनिया में भेजा हैं, उतनी ही सांस के बाद हमें इस दुनिया से जाना है। लेकिन हम इस जीवन में किस तरह के कर्म कर रहे हैं, इसका ध्यान रखना चाहिए। बुरे कर्मों से सदैव पश्चाताप करना चाहिए, क्योंकि बाद में हमें अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। हमारा वर्तमान जीवन हमारे पिछले कर्मों का फल है। इसलिए हमें उसी प्रकार का बीज लगाना होगा जैसे फल हम प्राप्त करना चाहते हैं। हमारे संत महापुरुष समय-समय पर अपने वाणी के माध्यम से हमें कर्म के प्रति जागरूक करते रहते हैं।
उन्होंने अपने विचारों में आगे बताया कि कोई भी व्यक्ति अपनी मनमती से कर्म के बारे में नहीं सोच सकता। जब भी कोई पूर्ण संत इस धरती पर अवतार लेकर आता है। वे हमें जीवन जीते हुए ऐसे कार्य करने की प्रेरणा देते हैं, जिससे हम अपनी उस मंजिल की ओर बढ़ सकें जिसके लिए हमें जीवन मिला है। मनुष्य जन्म लेना उस ईश्वर से मिलने का एक साधन है। ईश्वर तब तक पाया जा सकता है जब तक यह जीवन है। इसी के लिए हमें मनुष्य जन्म प्राप्त हुआ है। ईश्वर किसी की मन मति से नहीं मिल सकते। इसलिए हमें अपने संतो महापुर्षों द्वारा दिये गये धर्मग्रंथों का सहारा लेना चाहिए। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। समय के पूर्ण सतगुरु ही शास्त्रों में बताए गए मार्ग के अनुसार उस परमात्मा से मिला सकते है। इसलिए हमें अपने धर्म ग्रंथों के अनुसार उस पूर्ण संत महापुरूख की खोज करनी चाहिए जो हमें ईश्वर से मिलाने की युक्ति प्रदान कर सके।
अंत में साध्वी बहनों द्वारा भजन कीर्तन किया गया तथा संगत को प्रसाद वितरित किया गया।