तुलसी विवाह दशमी युता एकादशी को ही क्यों ?

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रविवार-द्वादशी संयोग और अशुभ योगों के कारण इस बार शनिवार को होगा श्री तुलसी विवाह समारोह
आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा ‘महेश’

पानीपत, 30 अक्तूबर : धर्मशास्त्रों के अनुसार श्री तुलसी विवाह द्वादशी युता एकादशी तिथि को किया जाता है। किंतु इस वर्ष पंचांग नियमन के अनुसार रविवार को द्वादशी तिथि और अनेक अशुभ योगों के संयोग से विवाह का मुहूर्त परिवर्तित हो गया है।
आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा ‘महेश’ ने बताया कि रविवार, द्वादशी तिथि और दस योग — व्यतिपात, व्याघात, विष्कुम्भ, वरियान, गंड, धृति, अतिगंड, शूल, परिघ और वज्र योग — ऐसे योग हैं जिनमें कोई भी शुभ कार्य, विशेषकर विवाह संस्कार, वर्जित माना गया है। रविवार को जब द्वादशी आती है, तब तुलसी माता का स्पर्श और पूजा भी निषिद्ध मानी जाती है।
उन्होंने कहा कि यद्यपि तुलसी विवाह द्वादशी युता एकादशी को करने का विधान है, किंतु जब द्वादशी क्षय हो, तो गृहस्थजन एकादशी व्रत की पारणा द्वादशी पर ही करते हैं, न कि त्रयोदशी पर। इसी कारण जब एकादशी दो दिन पड़ती है, तो गृहस्थ पहले दिन और वैष्णव-संन्यासी दूसरे दिन व्रत करते हैं।
श्री हरि प्रबोधिनी एकादशी स्वयं सिद्ध मुहूर्त मानी गई है, जिसमें सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। किंतु इस बार रविवार, 2 नवम्बर को श्री तुलसी जी का स्पर्श वर्जित रहेगा और रात्रि 23:10 बजे तक व्याघात योग व्याप्त रहेगा। इसके साथ रविवार और सोमवार दोनों दिन शतभिषा तथा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पड़ने से विवाह प्रकरण के लिए भी यह समय अशुभ रहेगा।
आचार्य शर्मा के अनुसार शनिवार को गृहस्थजन एकादशी व्रत करेंगे और उस दिन मध्यरात्रि तक (26:09 बजे तक) ध्रुव योग रहेगा, जो शुभ है। इसलिए श्री तुलसी विवाह का आयोजन शनिवार को करना ही शास्त्रसम्मत और मंगलकारी रहेगा।
उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि संवत् 2078 में जब शुक्र 8 फरवरी 2021 को अस्त हुए थे और 21 अप्रैल 2021 को उदित हुए, उस दौरान 13 अप्रैल (राक्षस नामक संवत्सर) तथा 14 मई (अक्षय तृतीया) के स्वयं सिद्ध मुहूर्त होने के बावजूद विद्वत् ब्राह्मण समाज ने विवाह संस्कार नहीं करवाए थे, क्योंकि शुक्र अस्त काल में सभी शुभ कार्य निषिद्ध माने जाते हैं।
🌿 तुलसी विवाह का महत्व : धार्मिक परंपरा के अनुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और तुलसी माता का विवाह कराया जाता है। यह विवाह प्रतीकात्मक रूप से देव-उत्थान का संकेत है, क्योंकि चातुर्मास के बाद इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं।
तुलसी विवाह के बाद विवाह-संस्कार जैसे शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत मानी जाती है। यह समारोह भक्ति, सौभाग्य और पारिवारिक सुख का प्रतीक है। तुलसी विवाह करने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता, समृद्धि और मंगल का वास होता है।
इस वर्ष तुलसी विवाह की तिथि व शुभ मुहूर्त
तिथि: शनिवार, 1 नवम्बर 2025 (कार्तिक शुक्ल एकादशी – द्वादशी क्षय)
व्रत पारणा: रविवार, 2 नवम्बर प्रातः काल
शुभ योग: ध्रुव योग (मध्य रात्रि तक शुभ)
अशुभ योगों से मुक्ति: रविवार-द्वादशी वर्जना से बचाव हेतु शनिवार को पूजन उपयुक्त
पूजन समय: सायं 5:40 बजे से रात्रि 8:15 बजे तक विवाह मुहूर्त शुभ माना गया है।




