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अयोध्या:———–
* रक्षाबंधन पर विशेष ब्यूरो चीफ मनोज तिवारी के द्वारा*
रक्षाबंधन भाई-बहनों का एक पवित्र त्यौहार है। इसे श्रावण मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन का सबको बेसब्री से इंतजार रहता है। बचपन में भाई-बहन कितना भी लड़ते-झगड़ते हो, लेकिन रक्षाबंधन के दिन सब भूल जाते हैं।
*राखी क्या है : *
——— राखी केवल रेशम का एक धागा ही नहीं है; अपितु यह एक ऐसी डोर है जिसे बाँधने के बाद भाई-बहन का सम्बंध जन्म-जन्मांतर तक बँध जाता है। इसलिए अगर कोई लड़की किसी लड़के को भाई बनाकर राखी बाँधती है तो उसे जीवन भर निभाना पड़ता है।
राखी मनाने की परम्परा :
पुराणों के अनुसार माना जाता है कि जब भगवान श्रीहरि विष्णु जी ने राजा बलि से दान में तीन पग धरती लेकर तीनों लोक पर अधिकार कर लिया तो बलि ने भगवान श्रीहरि विष्णु जी से अपने महल में रहने का आग्रह किया। भगवान श्रीहरि विष्णु जी इस आग्रह को मान गये। भगवान विष्णु जी की पत्नी माता लक्ष्मी को भगवान श्रीहरि विष्णु जी और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लगी। अतः उन्होंने भगवान विष्णु जी के साथ बैकुण्ठ जाने का निश्चय किया। इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा का धागा बाँध कर भाई बना लिया। इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार माँगने के लिए कहा। इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करें कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे। बलि ने यह बात मान ली, और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकार किया। तब से लेकर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।
*आधुनिक राखियाँ : *
——————–आजकल बाजारों में एक से बढ़कर एक राखियाँ देखने को मिलती है। बहनें भी अपने भाइयों के लिए सुंदर व भाई के मनपसंद की राखियाँ खरीदती हैं। इससे भाई-बहन का प्यार सुदृढ़ होता है।
राखी भेजने की परंपरा :
———————— जो भाई या बहन दूरस्थ जगहों में रहते हैं तो बहन के द्वारा उन्हें राखी भेजने की परंपरा है। इस दिन पत्र के द्वारा शुभकामना संदेश भी भेजा जाता है। आजकल मोबाइल के जमाने में पत्र लिखना लगभग बंद हो गया है। लोग मोबाइल के द्वारा शुभकामना संदेश भेजते हैं । इस तरह रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन का एक पवित्र त्यौहार हैं जो सदियों से चला आ रहा है ।
कैसे बांँधते हैं राखियाँ :
———————–रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन सुबह से स्नान करके दोनों तैयार हो जातें हैं; और फिर शुभ मुहुर्त में बहन थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, दीप आदि सजाकर अपने भाई की आरती करती हैं; उसके दाएँ हाथ की कलाई पर राखी बाँधती हैं। मिठाई भी खिलाती हैं ।बदले में भाई कुछ उपहार स्वरूप बहन की पसंद की वस्तुएँ भेंट करते हैं।
रक्षा का वचन :
राखी बाँधने के बाद भाई के द्वारा बहन की रक्षा करने का वचन दिया जाता है; और उसे निभाता भी है।