विश्व आर्थराइटिस दिवस (12अक्टूबर) पर विशेष
आर्थराइटिस (गठिया) की समय पर पहचान और जल्द इलाज आवश्यक:डा.गीतम सिंह
✍️ कन्नौज ब्यूरो
कन्नौज। आर्थराइटिस यानि गठिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है। जिसमें हड्डियों और उनके जोड़ों में बर्दाश्त के बाहर दर्द होता है। ज्यादातर यह बीमारी अधिक मोटे और 50 वर्ष से ऊपर के उम्र के लोगों में अधिक देखी जाती है, लेकिन आजकल की खराब दिनचर्या व बदलती जीवन शैली के चलते युवा भी इसकी चपेट में आ रहे है। आर्थराइटिस यानी गठिया में हड्डियां घिसने लगती है, और जरा सा भी छूने या हिलाने पर उन में दर्द होने लगता है।इस तरह की समस्याओं के जोखिम को कम करने और इससें बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर साल 12 अक्टूबर को विश्व आर्थराइटिस दिवस मनाया जाता है। यह बताया एसीएमओ व हड्डी रोग विशेषज्ञ डा.गीतम सिंह , डा.सिंह ने बताया कि यह रोग प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म के वजह से होती है। जिससे न खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। पीड़ित व्यक्ति कुछ देर बैठता या होता है तो युरिक एसिड जोड़ों में इकट्ठा हो जाती है।जो अचानक चलने -फिरने में दिक्कत देती है। डा.गीतम सिंह के मुताबिक आर्थराइटिस यानि गठिया का कोई सफल इलाज नहीं है बचाव ही बेहतर इलाज है। अगर जोड़ों के आस-पास सूजन और लगातार दर्द रहता है। चलने-फिरने या सीढ़ियां चढ़ने-उतरने मुश्किल हो,जमीन पर बैठने के बाद उठने में परेशानी हो या पालथी मारकर बैठना मुश्किल हो। कई बार जोड़ों में परेशानी के कारण पैरों के आकार और चाल भी बदल जाती है। ऐसे कोई लक्षण दिखें तो हड्डी रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। आर्थराइटिस होने के कारण
हड्डी रोग विशेषज्ञ के मुताबिक आर्थराइटिस होने के मुख्य कारण वंशानुगत, आरामतलब जीवन शैली, जोड़ों पर चोट लगने, धुम्रपान,बैठकर घंटों काम करना व भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी है।
डॉ.गीतम सिंह की सलाह
-यदि आपके जोड़ों में जरा सा भी दर्द, शरीर में हल्की अकड़न है तो भी सबसे पहले किसी डॉक्टर को दिखाएं।
-कोशिश करें कि दिनचर्या नियमित रहे।
-डॉक्टर की सलाह पर नियमित व्यायाम करें।
-नियमित टहलें, घूमें-फिरें, व्यायाम एवं मालिश करें।
-सीढ़ियां चढ़ते समय, घूमने-फिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें।
-ठंडी हवा, नमी वाले स्थान व ठंडे पानी के संपर्क में न रहें।
-घुटने के दर्द में पालथी मारकर न बैठें।
-लगातार ज्यादा देर तक बैठ कर काम न करें।
-शरीर का वजन नियंत्रित रखें।
जनपद कन्नौज के रहने वाले रजनीकांत दुबे बताते है कि मैं लगभग 20 वर्ष से गठिया रोग से पीड़ित हूं।इस रोग ने मेरे जीवन का सुकुन छीन लिया। असहनीय दर्द के साथ दैनिक कार्यों में समस्याएं आने लगी। शुरुआत के लगभग 8वर्षो तक कई चिकित्सकों, हकीमों से इलाज कराया लेकिन कोई आराम नहीं मिला बल्कि समय के साथ तकलीफें बढ़ती रही। अब मैं जिला अस्पताल परिसर में स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय से दवा ले रहा हूं, जिससें मुझे काफी आराम है।