विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) पर विशेष

विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) पर विशेष

👉जन्म के पहले घंटे में जरूर पिलाएं माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध

👉शिशु को रोगों से लड़ने की ताकत देता है मां का दूध

कन्नौज ,

जो माताएं बच्चे को सही समय पर और सही तरीके से भरपूर स्तनपान कराती हैं, उन्हें बच्चे को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। मां के दूध की अहमियत सर्वविदित है, यह बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करने के साथ ही उसे आयुष्मान भी बनाता है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) राजेश वर्मा ने बताया कि अनेकों संक्रामक बीमारियों से मां का दूध बच्चे को पूरी तरह से महफूज बनाता है। इसलिए स्तनपान के फायदे को जानना हर महिला के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ही इस साल इस सप्ताह की थीम-‘स्तनपान के लिए कदम बढ़ाएं: शिक्षित करें और समर्थन करें’ तय की गई है।

जिला महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ ड़ॉ सुरेश यादव का कहना है कि शिशु के लिए स्तनपान अमृत के समान होता है। यह शिशु का मौलिक अधिकार भी है। मां का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है। यह शिशु को निमोनिया, डायरिया और कुपोषण के जोखिम से भी बचाता है। उन्होंने बताया कि मां के दूध में शिशु के लिए पौष्टिक तत्वों के साथ पर्याप्त पानी भी होता है। इसलिए छह माह तक शिशु को मां के दूध के अलावा कुछ भी न दें। कामकाजी महिलाएं अपने स्तन से दूध निकालकर रखें। यह सामान्य तापमान पर आठ घंटे तक पीने योग्य रहता है। ध्यान रहे कि रात में मां का दूध अधिक बनता है, इसलिए मां रात में अधिक से अधिक स्तनपान कराए। दूध का बहाव अधिक रखने के लिए जरूरी है कि मां चिंता और तनाव से मुक्त रहे।

यह भी जानना जरूरी :

ड़ॉ सुरेश यादव का कहना है यदि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब करता है, स्तनपान के बाद कम से कम दो घंटे की नींद ले रहा है और उसका वजन हर माह करीब 500 ग्राम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि शिशु को मां का पूरा दूध मिल रहा है ।
मां के दूध से मजबूत होती है इम्यूनिटी
• मां का दूध बच्चों के शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे बच्चे की
• इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग होती है, जो बड़े होने तक उसका साथ निभाती है।
• बच्चे के पैदा होने के बाद कोलोस्ट्रम, जो मां का पहला दूध बनता है। वही दूध बच्चे को
• डायरिया, चेस्ट इन्फेक्शन और दूसरे रोगों से बचाता है।
• मां के दूध में फैटी एसिड मौजूद होता है, जो बच्चे के मानसिक विकास में भी मददगार साबित
• होता है।

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