“अनेक सम्मानों से सम्मानित हुए साहित्यकार, ईश्वरी यादव को मिला सजल-ऋषि सम्मान”
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जांजगीर:- मथुरा में 16 अक्टूबर 2022 को आयोजित “चतुर्थ सजल महोत्सव” में छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों ने सहभागिता किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक श्रीकांत शर्मा एवं अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष किशन सिंह चौधरी ने किया, डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, डॉ.चन्द्रभाल सुकुमार एवं डॉ. अनिल कुमार गहलौत विशिष्ट अतिथि के तौर पर मंचासीन थे। सजल महोत्सव में देश भर के साहित्यकारों के साथ छत्तीसगढ़ के जांजगीर, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, रायपुर एवं दुर्ग सहित अनेक स्थानों के साहित्यकारों ने सहभागिता किया जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार विजय राठौर, ईश्वरी प्रसाद यादव, महेश शर्मा, डॉ. सुधीर शर्मा, डी.पी. साहू, श्रीमती अरुणा साहू, श्रीमती आशा भारद्वाज, श्रीमती संतोषी महंत ‘श्रद्धा’, बी.एल. नागवंशी, गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी, मयंक मणि दुबे एवं उमाकांत टैगोर का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
सजल महोत्सव में जाँजगीर (छ.ग.) के प्रतिष्ठित साहित्यकार ईश्वरी प्रसाद यादव को सजल सर्जना समिति के मंच पर “सजल-ऋषि सम्मान” से अलंकृत किया गया। इस सम्मान में उन्हें सम्मान राशि, शॉल-श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह समिति के संरक्षक एवं वरिष्ठ सजलकार सेवानिवृत्त जिला जज डॉ.चन्द्रभाल सुकुमार, मुख्य अतिथि विधायक श्रीकांत शर्मा व जिला पंचायत अध्यक्ष किशन सिंह चौधरी ने प्रदान किया। वरिष्ठ गीतकार गोपालदास ‘नीरज’, डॉ.सोम ठाकुर व डॉ. शिवओम ‘अम्बर’ को सजल ऋषि सम्मान से पूर्व में सम्मानित किया जा चुका है। इसी क्रम में सजल को लोकप्रिय बनाने एवं विभिन्न पटलों का संचालन करने के लिए विजय राठौर को “सजल पटल रत्न सम्मान” एवं “स्व. भीष्म सिंह चौहान सजल स्मृति सम्मान” से सम्मानित किया गया। सजल पर आधारित पत्रिकाओं अनंतिम, कवितांबरा एवं छत्तीसगढ़ मित्र के विशेषांकों के अतिथि सम्पादक के रूप में विजय राठौर के साथ दिनेश चतुर्वेदी व महेश शर्मा को भी विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया।
रायपुर (छत्तीसगढ़) के डॉ.सुधीर शर्मा को “डॉ.नरेश बंसल स्मृति हिंदी सेवारत्न सम्मान”, सजल आंदोलन के सक्रिय सदस्य श्रीमती अरुणा साहू रायगढ़ (छत्तीसगढ़) को “भामाशाह सम्मान”, सजल सप्तक दस की सजलकार श्रीमती आशा भारद्वाज को “सजल गौरव सम्मान” के साथ श्रीमती संतोषी महंत ‘श्रद्धा’ को “राज कुमारी चौहान सजल स्मृति सम्मान” एवं विभिन्न पटलों का संचालन करने के लिए बी.एल. नागवंशी एवं दिनेश रोहित चतुर्वेदी को विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया। सजल महोत्सव के मंच से बाईस सजल संग्रहों का विमोचन एवं लोकार्पण भी किया गया जिसमें बिलासपुर के युवा सजलकार मयंक मणि दुबे का सजल संग्रह ‘पुष्पक’ विशेष उल्लेखनीय है। प्रथम सत्र का संचालन रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ ने किया।
सजल महोत्सव के द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश भर के कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच पर वरिष्ठ कवि डॉ. सोम ठाकुर, डॉ. शिवओम ‘अम्बर’, विजय राठौर, ईश्वरी प्रसाद यादव, डॉ. महेश दिवाकर, रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, रमेश पंडित, निशेश जार की उपस्थिति में रचनाकारों ने काव्य पाठ किया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ सजलकार विजय राठौर ने किया। छत्तीसगढ़ के उमाकांत टैगोर ने “सबके हिस्से में भोजन हो, सबके हिस्से पानी” एवं संतोषी महंत श्रद्धा ने “तुम किनारा मै लहर हूँ, तुम समझते क्यूँ नहीं” की प्रस्तुति को विशेष सराहना मिली। इसके साथ ही गोवर्धन सूर्यवंशी ने “तन समर्पित मन निछावर, देश पर अविराम हो” एवं मयंक मणि दुबे ने “जिम्मेदारी हर कंधे पर, लाद रखा है घर कंधे पर” प्रस्तुत कर श्रोताओं का ध्यान आकृष्ट किया। बी.एल. नागवंशी, श्रीमती अरुणा साहू एवं श्रीमती आशा भारद्वाज सहित देश भर के कवियों ने काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी का संचालन राज कुमार महोबिया ने किया।
सजल महोत्सव में समिति के अध्यक्ष तथा सजल विधा के प्रवर्तक डॉ.अनिल गहलौत ने सजल के शिल्प, व्याकरण तथा विषय वस्तु की विस्तार से जानकारी दी। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य सृजन मात्र खानापूर्ति के लिए न कर काव्य को पूरी गंभीरता से लेकर काव्य सृजन करना चाहिए। सेवा निवृत्त जिला जज एवं वरिष्ठ सजलकार डॉ.चन्द्रभाल सुकुमार ने बहुत कम समय में सजल विधा की बढ़ती स्वीकार्यता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि शीघ्र ही हिंदी साहित्य में इसका स्थान सुनिश्चित करने के लिए और समर्पित प्रयास किये जाएंगे। समिति के सचिव संतोष कुमार सिंह ने समिति द्वारा किए गए अब तक के क्रियाकलापों के अतिरिक्त आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। सजल महोत्सव में धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ.बी.के. सिंह ने किया। सजल महोत्सव की तैयारियों में सजल सर्जना समिति के अध्यक्ष डॉ. अनिल गहलौत मथुरा एवं सचिव संतोष कुमार सिंह मथुरा का विशेष योगदान रहा है जिन्होंने आयोजन के लिए पिछले कई महीनों से तैयारियों में प्रयत्नशील रहें। सजल महोत्सव मथुरा में छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों के सहभागिता पर शील साहित्य परिषद के सदस्यों एवं नगर के साहित्यकारों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।