अम्बेडकर नगर: श्रीराम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव का हुआ आयोजन

श्रीराम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव का हुआ आयोजन

आलापुर (अम्बेडकर नगर ) |भगवान श्रीराम ने अपने उत्कृष्ट आचरण से अखिल विश्व को मानवता, प्रेम तथा पारिवारिक एवं सामाजिक मर्यादा का संदेश दिया। सत्य से विचलित मानवता को युग-युगांतर तक सही मार्ग दिखाता रहेगा रामचरित मानस। देवरिया बुजुर्ग के कोहड़ा पंडित के नवनिर्मित शिवमंदिर परिसर में चल रहे पाँच दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव मनाया गया। इस मौके पर मौजूद श्रद्धालु भगवान श्रीराम सहित चारों भाईयों के जन्म कथा का श्रवण कर झूम उठे। श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या से आए कथा वाचक श्री बालकिशोर दास जी रामायणी ने राम जन्म प्रसंग की ऐसी व्याख्या की कि श्रोता भावविभोर हो उठे।कथा वाचन के दौरान कथावाचक ने कहा कि तीन कल्प में तीन विष्णु का अवतार हुआ है और चौथे कल्प में साक्षात भगवान श्रीराम माता कौशल्या के गर्भ से अवतरित हुई है। श्रीराम जन्म प्रसंग से पूर्व कथावाचक ने सती प्रसंग की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि एक बार माता सती भगवान शंकर बिन बताए ही माता सीता का रूप धारण कर भगवान राम की परीक्षा लेने चली गई। लेकिन भगवान श्रीराम ने उन्हें पहचान कर पूछ लिया हे माता आप अकेले कहां घूम रही है। जिसे सुन माता सती संकोच में पड़ गई। लेकिन भगवान शंकर ने ध्यान लगाकर सती द्वारा भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने की बातें जान ली।जिसके बाद भगवान शंकर इस सोच में पड़ गए कि सती माता सीता का रूप धारण कर भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने चली गई। अब ऐसी स्थिति में मैं सती से प्रेम कैसे कर सकता है। स्वामी जी ने आगे कहा कि माता सती के पिता राजा दक्ष के यहां यज्ञ हो रहा था। जिसमें शामिल होने के लिए माता सती ने भगवान से अपनी इच्छा जाहिर की थी। जिस भगवान शंकर ने माता सती से कहा कि तुम्हारे पिता ने यज्ञ में आने के लिए हमलोगों को आमंत्रित नहीं किया है। हालांकि माता-पिता, गुरु एवं मित्र के घर जाने के लिए आमंत्रण की जरूरत नहीं होती है। जहां मान नहीं हो वहां बिन बुलाए जाना भी नहीं चाहिए।उन्होंने कहा कि भगवान शंकर की बात की अवहेलना कर माता सती अपने पिता राजा दक्ष के घर पहुंच गई। लेकिन यज्ञस्थल के निकट भगवान शंकर का स्थान नहीं देख क्रोध में आकर यज्ञ विध्वंस करने की नियत यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग कर दी थी। जिसके बाद माता सती ने घोर तपस्या कार राजा हिमाचल एवं रानी मैना के घर पार्वती के रूप में जन्म ली। फिर माता पार्वती से भगवान शंकर का विवाह हुआ और दोनों कैलाश पर्वत जाकर रहने लगें। संगीतमय श्रीराम कथा सुनने के लिए हर शाम बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो रही है। श्रीराम कथा के अमृत वर्षा में श्रद्धालु गोता लगा रहे है। स्वामी जी के मुखारबिद से श्रीराम कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो जा रहे है। शाम 03:00 बजे से 06:00 बजे तक श्रीराम कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।इस मौके पर आचार्य ऋषि कुमार शुक्ल,सह आचार्य पंडित पंकज शास्त्री,पंडित सुदर्शन जी,पंडित हर्ष मिश्रा जी,पंडित सूर्यदेव जी,पंडित अरविन्द जी,पंडित राम नेवाज शर्मा,रामनयन शर्मा,शिव कुमार शर्मा,मोतीलाल शर्मा,राजू शर्मा,संतोष शर्मा,राजेंद्र प्रसाद शर्मा,बृजेश शर्मा,नारेंद्र शर्मा,भोलेनाथ शर्मा,रामवृक्ष शर्मा,रामचैत्र,अनिल शर्मा,राजेश कुमार व समस्त ग्रामवासी गण कथा में मौजूद रहे।

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