हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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शिविर में कुरुक्षेत्र तथा आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
शिविर के समापन सत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर आर्ट ऑफ लिविंग परिवार द्वारा संध्या वंदन एवं महाआरती।
कुरुक्षेत्र, 16 मई : विश्व विख्यात मानवतावादी एवं आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी द्वारा स्थापित एवं 156 से भी अधिक देशों में संचालित संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आधुनिक समाज को तनाव मुक्त बनाने एवं योग, ध्यान एवं सुदर्शन क्रिया द्वारा जीवन जीने की कला सिखाने हेतु निरंतर शिविरों का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में दिनांक 13 मई से 16 मई तक सामूहिक उपनयन संस्कार शिविर का आयोजन श्रीमद्भगवद्गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रेलवे रोड के परिसर में किया गया। यह शिविर ऋषिकेश आश्रम से आए हुए स्वामी सत्य चैतन्य जी के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। शिविर में सर्वप्रथम बैंगलोर आश्रम से आए हुए पंडितों द्वारा सामूहिक गुरु पूजा कर शिविर का शुभारंभ किया गया। शिविर में कुरुक्षेत्र तथा आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या महिला व पुरुषों ने भाग लिया। शिविर में कुल सात सत्र रहे, जिसमें सामूहिक हवन कर सभी का उपनयन संस्कार किया गया तथा जनेऊ धारण करवाया गया। शिविर का उद्देश्य वैदिक परंपराओं का ज्ञान देना, मन की अशुद्धियों को दूर करना, मनुष्य की शारीरिक , मानसिक व आध्यात्मिक वृद्धि करना तथा नित्य प्रति गायत्री मंत्र का उच्चारण कर हवन इत्यादि करना करना मुख्य रहा।
शिविर के पहले दिन विशाल भजन संध्या व भंडारे का आयोजन किया गया। भजन संध्या में ऋषिकेश आश्रम से सुप्रसिद्ध भजन गायक प्रणिल प्रकाश सोलुंके ने अपनी मधुर आवाज से सभी भक्तजनों का मन मोह लिया। स्वामी जी द्वारा बताया गया कि वैदिक संस्कृति के अनुसार उपनयन (यज्ञोपवीत) संस्कार हमारे सोलह संस्कारों में से दसवां संस्कार है। इसे द्विज भी कहा जाता है अर्थात यह व्यक्ति का दूसरा जन्म होता है और उसका बौद्धिक व अध्यात्मिक विकास उपनयन संस्कार के द्वारा ही संभव है। शिविर के समापन सत्र में कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के तट पर आर्ट ऑफ लिविंग परिवार द्वारा संध्या वंदन एवं भजन संध्या का आयोजन कर महाआरती की गई जिसमें भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मधुदीप सिंह ने शिविर के अनुभव सांझा करते हुए बताया कि बड़े गर्व की बात है कि शिविर में हमें उपनयन संस्कार करने का सौभाग्य मिला। उन्होंने यह भी बताया कि उपनयन संस्कार के द्वारा हमें संस्कार के पीछे वैज्ञानिक कारण जानने का सुअवसर मिला तथा साथ ही मानव चेतना पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है यह भी ज्ञात हुआ। आर्ट ऑफ लिविंग परिवार की टीचर अनीता चौधरी ने भी बताया कि सनातन धर्म और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने में उपनयन संस्कार का बहुत महत्व है इसके द्वारा हमें प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस करने का अवसर मिला और अपने पूर्वजों, अपने गुरुओं तथा ऋषि मुनियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
उपनयन संस्कार के द्वारा ही संभव है। शिविर के समापन सत्र में कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के तट पर आर्ट ऑफ लिविंग परिवार द्वारा संध्या वंदन एवं भजन संध्या का आयोजन कर महाआरती की गई जिसमें भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मधुदीप सिंह ने शिविर के अनुभव सांझा करते हुए बताया कि बड़े गर्व की बात है कि शिविर में हमें उपनयन संस्कार करने का सौभाग्य मिला। उन्होंने यह भी बताया कि उपनयन संस्कार के द्वारा हमें संस्कार के पीछे वैज्ञानिक कारण जानने का सुअवसर मिला तथा साथ ही मानव चेतना पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है यह भी ज्ञात हुआ। आर्ट ऑफ लिविंग परिवार की टीचर अनीता चौधरी ने भी बताया कि सनातन धर्म और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने में उपनयन संस्कार का बहुत महत्व है इसके द्वारा हमें प्रकृति के साथ जुड़ाव महसूस करने का अवसर मिला और अपने पूर्वजों, अपने गुरुओं तथा ऋषि मुनियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर भी प्राप्त हुआ। उपनयन संस्कार के प्रतिभागी कपिल मित्तल ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि दैनिक कार्यों की व्यस्तता के कारण हम अपने मूल से अलग हो गए हैं तथा उपनयन संस्कार द्वारा पंच तत्वों का आह्वान कर प्रतिदिन यज्ञ करके व गायत्री मंत्र का उच्चारण करके प्रकृति के प्रति अलगाव को समाप्त कर अपनी कृतज्ञता और श्रद्धा भाव को व्यक्त कर सकते हैं। स्वामी जी द्वारा यह भी बताया गया कि वैदिक परंपरा को जीवित रखने के लिए 8 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को यज्ञोपवीत संस्कार अवश्य करना चाहिए।
शिविर में भाग लेने वाले लोग।