ग्रीष्मावकाश में समर कैम्प आयोजित करने से बढ़ेगा अर्जित अवकाश का भार
आलापुर (अम्बेडकर नगर) | प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में आगामी 21 मई से 28 मई तक समर कैम्प आयोजित करने के सरकारी फरमान से शिक्षकों के दीर्घावकाश यद्यपि 40 के बजाय 30 दिनों का होगा किन्तु उपार्जित अवकाश खाते में जुड़ने से सरकारी पंचांग पर तातिलनामा भारी पड़ सकता है।लिहाजा सरकार का यह कदम किसी भी प्रकार से सोच समझकर उठाया गया कदम नहीं कहा जा सकता।अलबत्ता शैक्षिक संगठनों को आंदोलन हेतु ऑक्सिजेन अवश्य मिल जाएगी।
इस बाबत राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,उत्तर प्रदेश के अयोध्यामण्डल संयोजक उदयराज मिश्र के मुताबिक उत्तर प्रदेश शासन के उपसचिव श्री रामलाल शर्मा द्वारा शिक्षा निदेशक,उत्तर प्रदेश को सम्बोधित शासनादेश क्रमांक-शिक्षा(7)अनुभाग पत्रांक 3186/xv-7-84 दिनांक 18 मई 1984 स्पष्ट रूप से ग्रीष्मावकाश में परिषदीय परीक्षाओं या विभागीय आदेशों के चलते दीर्घावकाश के उपभोग से वंचित कर्मचारियों व शिक्षकों को अवकाश अवधि में काम करने के दिनों की संख्या के मुताबिक अर्जित अवकाश स्वीकृत करने के आदेश दिए गए हैं।जिससे इस दफा समर कैंप में प्रतिभाग करने वाले शिक्षकों को भी उतने दिनों का अर्जित अवकाश मिलेगा।श्री मिश्र ने इस बाबत प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या-शिक्षा(7)अनुभाग संख्या 1527/15-7-1(48/84) दिनांक 24 फरवरी 1986 के भी शासनादेश का उद्धरण देते हुए बताया कि दीर्घावकाश विभाग में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी की दशा में ग्रीष्मावकाश में काम के बदले अर्जित अवकाश दिए जाने की व्यवस्था प्रावधानित है।ध्यातव्य है कि उक्त शासनादेश में ऐसे प्रकरणों पर भविष्य में किसी अलग प्रकार के नये आदेश की बजाय इसी को व्यवहार में लाये जाने का स्प्ष्ट उल्लेख करते हुए सभी शासकीय व अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के संस्थाप्रधानों को अवगत कराये जाने का भी आदेश शिक्षा निदेशक को दिया गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार स्वयम उत्तर प्रदेश फ़ण्डामेंटल(प्रथम संशोधन)नियमावली 1992 की धारा 11 की उपधाराओं 11(क, ख्,ग तथा घ) में दीर्घावकाश विभाग के कर्मचारियों को ग्रीष्मावकाश में काम के बदले अर्जित अवकाश दिए जाने की व्यवस्था की है।
दिलचस्प बात तो यह है कि इस वर्ष पहलीबार संशोधित शैक्षिक पंचांग को 09 मई को सरकार द्वारा जारी करने के उपरांत राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,उत्तर प्रदेश की प्रदेशीय कार्यसमिति ने ग्रीष्मावकाश पर चलती कैंची को देखते हुए सर्वप्रथम अर्जित अवकाश दिए जाने की मांग किया है।जिससे तय है कि पूर्व में जारी शासनादेशों के क्रम में शिक्षकों को समर कैम्प के बदले उतने दिनों का अर्जित अवकाश मिलेगा।
ज्ञातव्य है कि 1977 से पूर्व प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में 21 मई से Jo जुलाई तक कुल 48 दिनों का ग्रीष्मावकाश होता था।किंतु उसीवर्ष ग्रीष्मावकाश की सात छुट्टियों को कम करते हुए शैक्षिक सत्र को पहली जुलाई से शुरू करने का श्रीगणेश हुआ था।लिहाजा काटी गयी सातों छुट्टियों को अक्टूबर या नवम्बर में अलग से लेने का प्रावधान शिक्षा निदेशक के पत्रांक -शिविर/6089-284,लखनऊ,दिनांक 17 मई 1977 द्वारा आज भी प्रासङ्गिक है किंतु जानकारी के अभाव में कोई भी शिक्षक इन छुट्टियों को लेता नहीं है।श्री मिश्र ने इस बाबत शिक्षाधिकारियों से स्प्ष्ट आदेश निर्गत करते हुए शासनादेशों के अनुपालन करते हुए अर्जित अवकाश दिए जाने की मांग की है।