किसी भी परिस्थिति में भगवान से विमुख नहीं होना चाहिए , राधा शर्मा
✍️ कन्नौज ब्यूरो
कन्नौज ।हसेरन क्षेत्र के निजामपुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आज कथावाचक आचार्य भगवान श्री कृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाया। व्यास आचार्य बृज धाम वृंदावन से राष्ट्रीय प्रवक्ता राधा शर्मा ने कथा में सुनाया हमें अपने जीवन रथ का सारथी भगवान को बनाना चाहिए, अभिमान को नहीं । कंस अभिमान का प्रतीक है। विवाह में विदाई के समय देवकी वसुदेव का रथ कंस हांकर रहा है। कंस देवकी से से प्रेम का दिखावा करता था ।देवकी को लगा मेरा भाई मुझसे सच्चा प्रेम करता है। लेकिन देवकी का भ्रम तब टूटा जब आकाशवाणी होती है कि, उनके आठवें पुत्र से कंस की मृत्यु होगी । सच्चे प्रेम में लोग स्वयं मर मिटने को तैयार होते हैं लेकिन कंस देवकी को ही समाप्त करना चाहता है। लेकिन कंस देवकी को ही समाप्त करना चाहता है। वसुदेव कंस को वचन देते हैं कि देवकी के जो भी संतान होगी , वह सभी कंस को सौंप देंगे। देवकी वसुदेव को ले जाकर अपने कारागार में बंद कर देता है। देवकी वसुदेव जेल के बंधन में रहकर भी भगवान के भजन में लगे रहते हैं। भगवान कृष्ण कन्हैया का जन्म हुआ। जन्म होते ही कथा पंडाल में नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के नाम के जयकारे लगने लगे। भी परिस्थिति में भगवान से भी विमुख नहीं होना चाहिए। इस मौके पर सुबोध कुमार सिंह , अवधेश प्रताप सिंह, प्रधानाध्यापक एमपी , अखिलेश सिंह , कृष्ण पाल सिंह, पूर्व प्रधान शिक्षक सत्य प्रकाश दुबे सहित भारी संख्या में भक्तगण कथा पंडाल में उपस्थित रहे।