वाराणसी :
काशी के इस अद्भुत शिवलिंग की आकृति हर साल एक तिल बढ़ती है
पूर्वांचल ब्यूरो
ऐसा ही अनोखा और चमत्कारिक धाम वाराणसी के केदारखण्ड में स्थित श्री तिलभंडेश्वर महादेव (Sri Tilbhandeshwar Mahadeva Temple) है. मान्यताओं के मुताबिक, काशी के इस अद्भुत शिवलिंग की आकृति हर साल एक तिल बढ़ती है. शिव पुराण में भी इसका जिक्र है. भक्तों का ऐसा मानना है कि सावन (Sawan 2022) में यहां बाबा को बेलपत्र, धतूरा,भांग और जल अर्पण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
जमीन से लगभग 100 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस शिवलिंग के दर्शन को दूर-दूर से श्रद्धालू आते हैं. काशी का ये शिवलिंग स्वयंभू है. सतयुग से कलयुग तक ये शिवलिंग हर साल महाशिवरात्रि पर एक तिल बढ़ता है. सावन के महीने के अलावा प्रत्येक सोमवार को भी यहां भक्तों की भीड़ होती है.
कुंडली के दोषों से मिलती है मुक्ति
मंदिर के पुजारी विनय शुक्ला ने बताया कि काशी के इस महाशिवलिंग पर जल अर्पण करने मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिवलिंग में सभी 9 ग्रह और 27 नक्षत्र विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबा के दर्शन और जलाभिषेक से कुंडली के सभी दोषों से मुक्ति भी मिल जाती है.
तिल से प्रकट हुए थे महादेव
मंदिर से जुड़ी एक कहानी है कि विभाण्डा ऋषि ने यहीं तप किया था. अपने तप के दौरान वो घड़े में तिल अर्पण कर रहे थे. घड़े का वही तिल जब धरती पर गिरा तो उससे बाबा प्रकट हुए, तब से इनकी पूजा की जा रही है. कहा जाता है कि तिलभंडेश्वर के पूजन से भक्तों के मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है.
मनचाही मुरादें होती है पूरी
स्थानीय मुन्ना लाल विश्वकर्मा ने बताया कि बाबा की महिमा अपरम्पार है. बाबा के दर्शन पूजन से सभी कष्ठों से मुक्ति मिलती है और भक्तों की मनचाही मुरादें भी बाबा पूरी करते हैं.