रोमांच के साथ उत्साह का बना माहौल, पारम्परिक खेलों ने बढ़ाया मेलजोल

 जांजगीर-चाम्पा 07 अक्टूबर 2022/ प्रदेश स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की आज से शुरूआत क्या हुई, इसमें भाग लेकर खेलने के लिए गांव के बच्चों से लेकर बड़ो में बहुत उत्साह नजर आया। पारम्परिक खेलों को महत्व मिलने से इसे मैदान पर खेलने वालों से लेकर देखने वालों में न सिर्फ एक अलग खुशी थी, गांव से लेकर नगर तक छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की चर्चा भी खूब हुई। जिले में गांव-गांव में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के माध्यम से पारम्परिक खेल गिल्ली-डंडा, लंगड़ी दौड़, पिट्ठुल, रस्साकसी, फुगड़ी, भौंरा, खो-खो सहित अन्य खेलों का आयोजन किया गया। जनप्रतिनिधियों से लेकर कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा सहित अन्य लोगों ने भी भौरा चलाकर, गिल्ली डंडा खेलकर खिलाड़ियों और ग्रामीणों के उत्साह को दुगना किया।
     राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के खेल प्रतिभाओें को आगे बढ़ाने के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के माध्यम से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश में आज से प्रारंभ हुए इस खेल आयोजन में नगरीय एवं ग्राम पंचायत स्तर पर ग्रामीणों ने भाग लिया। प्रदेश में पहली बार इस तरह के खेलों का आयोजन होने से बड़ी संख्या में लोग आयोजन स्थल पर पहुचे हुए नजर आए। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं, पुरूष खेलों में शामिल हुए। जांजगीर शहर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान में नगर पालिका द्वारा छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किया गया। यहां नगर पालिका के अध्यक्ष श्री भगवानदास गढ़ेवाल, कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भौरा, गिल्ली डंडा खेलकर आयोजन की शुरूआत की। यहां लंगड़ी दौड़, पिठ्ठूल, भौंरा तथा गिल्ली डंडा का आयोजन किया गया।
जोर लगा के हइसा…
     छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में शामिल खेलों में भाग लेने के लिए बालक-बालिकाओं के साथ गांव की महिलाएं भी खासी रूचि ले रही है। ग्राम पंचायत खोखरा में आयोजन स्थल पर खेल का माहौल देखते ही बन रहा था। गांव की महिलाओं ने रस्साकसी खेल में भाग लिया और अपनी जीत के लिए पूरी ताकत से जोर लगा के हइसा…कहती हुई रस्सी खींचती नजर आई। स्कूल मैदान में महिलाओं के इस प्रयास को देख वहां उपस्थित दर्शकों ने न सिर्फ खूब तालियां बजाई, अपितु अपनी पसंद की टीमों को जिताने के लिए उनका उत्साहवर्धन भी किया। कुछ ऐसा ही रोमांच का माहौल फुगड़ी प्रतियोगिता में भी देखने को मिला। चार बालिकाओं ने सीटी बजते ही एक साथ फुगड़ी खेलना प्रारंभ किया। गोला बनाकर खड़े दर्शकों के बीच फुगड़ी करती बालिकाओं ने दर्शकों की तालियों के साथ फुगड़ी की। देर तक मैदान में डटे रहने के साथ सबके आउट होते ही अंत में कुमारी सौम्या राठौर ने बाजी जीती। कलेक्टर श्री सिन्हा ने मौके पर रस्साकसी टीम का नेतृत्व कर रही श्रीमती सरोजनी बाई और फुगड़ी की विजेता सौम्या को पुरस्कृत किया।
तीन वर्गों में 14 खेलों का होगा आयोजन
    छत्तीसगढ़िया ओलंपिक प्रतियोगिता 3 वर्गाे में आयोजित की जा रही है। पहला 18 वर्ष की आयु तक, दूसरा 18 से 40 वर्ष की आयु तक वहीं तीसरा 40 वर्ष से अधिक आयु तक महिला और पुरुष दोनों वर्ग में शामिल हो सकते हैं। वहीं छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में पारम्परिक खेल गिल्ली-डंडा, लंगड़ी दौड़, पिट्ठुल, संखली, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बांटी (कंचा), गेड़ी दौड़, फुगड़ी, भौंरा, 100 मीटर दौड़, लंबी कूद, बिल्लस खेलों का आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगिता पहले राजीव मितान क्लब स्तर पर स्पर्धा होगी। आठ क्लब को मिलाकर एक क्लब बनाया जाएगा। चयनित खिलाड़ी विकासखंड स्तर पर होने वाली प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेंगे। इसके बाद विकासखंड, नगरी निकाय क्लस्टर, जिला, संभाग और अंतिम में राज्य स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होगी। खिलाड़ियों को पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र और मेडल भी प्रदान किया जाएगा। यह प्रतियोगिता ग्रामीण और नगरीय निकाय दोनों पर आयोजित की जाएगी।
6 अक्टूबर से लेकर 6 जनवरी तक चलेगा आयोजन
      छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में सबसे पहले राज युवा मितान क्लब स्तर के आयोजन 6 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 2022 तक होंगे। वही जोन स्तर का आयोजन 15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक होंगे। विकासखंड स्तर पर 27 अक्टूबर से 10 नवंबर तक आयोजित किए जाएंगे। जिला स्तर पर 17 नवंबर से 26 नवंबर तक और संभागीय स्तर पर आयोजन 5 दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच होगा। वही राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़ी ओलंपिक का अंतिम चरण 28 दिसंबर 2022 से 6 जनवरी 2023 तक आयोजित होगा। इस स्तरों के अनुसार इन खेल प्रतियोगिता के आयोजन किया जाएंगे।
पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने का बेहतर अवसरः कलेक्टर
     छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन में शामिल होने ग्रामीणों के साथ नगरीय क्षेत्रों के खिलाड़ियों एवं आम नागरिकों के उत्साह को देखते हुए कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अपनी परम्परा और पहचान है। यहां की संस्कृति के साथ खेले जाने वाले खेल बहुत महत्व रखते हैं। यह भाईचारे की भावना को विकसित करने के साथ शारीरिक विकास में भी योगदान देता है। गांव-गांव इस तरह के आयोजन होने से एक बार फिर इन खेलों की पहचान बढ़ेगी और आने वाली पीढ़ी इसे जान पायेंगे। उन्होंने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में लोगों को बढ़ चढ़कर भाग लेने की अपील भी की।

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