व्रती महिलाओं ने डूबते हुए सूरज को दिया अर्घ्य।
मेहनगर नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में व्रती महिलाओं ने डूबते हुए सूरज को अर्घ दिया। मान्यता है कि घाटों के किनारों पर 5 गन्ने में साड़ी लपेटकर छठ माता की पूजा की जाती है। यह महापर्व बड़े ही धूमधाम से गाजे-बाजे के साथ मनाया जाता है। वही मेहनगर के लखराव पोखरा, प्रभा पोखरा निरंजन कुटी ,गौरा गांव के मंडलेश्वर महादेव, बीरभानपुर, सहित अन्य गांव में भी व्रती महिलाओं ने डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया ।
इस मौके पर उप जिलाधिकारी संत रंजन व थाना प्रभारी बसंत लाल मय हमराही ओ के साथ चक्रमण करते नजर आए। वही उपजिलाधिकारी सन्त रंजन ने बताया कि आज 30 अक्तूबर 2022 दिन रविवार को छठ महापर्व में शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया । इसके बाद अगले दिन यानी 31 अक्तूबर 2022 को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा होगा।छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व को कई नामों से जाना जाता है। जैसे डाला छठ, सूर्य षष्ठी और छठ पूजा के नाम से जाना जाता है। छठ का त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का त्योहार है। इसमें व्रत रखने वाला व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखता है ।और अपनी संतान की लंबी आयु और अरोग्यता के लिए छठी माता से आशीर्वाद प्राप्त करता है।