दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा कथा के तृतीय दिवस पर कथा व्यास साध्वी सुश्री दिवेशा भारती जीने बताया कि उस समय के अनेकों राजा भी भगवान श्रीकृष्ण को नहीं पहचान पाए
फिरोजपुर उन्नति अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री सत्यनारायण मन्दिर रामपुर बुशैहर में आयोजित श्रीकृष्ण कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास साध्वी सुश्री दिवेशा भारती जी ने कथा के माध्यम से बताया कि शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाया उनके सामने उपस्थित होने पर भी, उनकी लीलाओं की चर्चा सुनने के बाद भी,अनेकों भक्तों का उनके प्रति आदर भाव देखने सुनने के बाद भी। केवल शिशुपाल ही नहीं बल्कि उस समय के अनेकों राजा भी भगवान श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाये तो क्या यदि आज भगवान हमारे सामने आ जाते तो हम भगवान को पहचान लेंगे? हमारे पास भगवान को पहचानने का क्या आधार होगा क्या उनकी बाहरी वेश भूषा? यदि हम ऐसा सोचते हैं तो इसका मतलब अभी तक हमने अपने धार्मिक ग्रंथों का सही ढंग से अध्ययन ही नहीं किया। क्योंकि बाहरी वेश भूषा तो कोई भी धारण कर सकता है। इसलिए भगवान को पहचानने के लिए आवश्यकता है उस दिव्य दृष्टि की जो दिव्य दृष्टि भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को प्रदान की थी।
कम्पनी कमांडेंट होमगार्ड ईश्वर चन्द्र गौतम, एडवोकेट हरिन्दर शर्मा, चित्रभानु शर्मा और विजय शर्मा ने परिवार सहित दीप प्रज्ज्वलित कर प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त किया। कथा में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त मयूर ध्वज की जीवन गाथा भी सुनाई गई।
आगे कथा सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि एक मां पर ही निर्भर करता है कि वह अपनी संतान को किस सांचे में ढालना चाहती है, क्योंकि संस्कार देने का शुभ विचार देने का जो समय है वह बाल्यावस्था ही होती है इसलिए आप अपनी संतानों को श्रेष्ठ संस्कार दे। महिला मण्डल जगातखाना की महिलाओं ने कथा व्यास और साध्वी बहनों को हिमाचली पोशाक ढाठू पहनाकर और स्वामी जी को हिमाचली टोपी पहनाकर अभिनन्दन किया। संस्थान की ओर से स्वामी धीरानन्द जी ने बताया की रविवार को कथा के समापन पर भंडारे का आयोजन किया जायेगा इसीलिए 30 अप्रैल रविवार को कथा का समय सायं 3 बजे से सायं 6 बजे तक रहेगा। कथा का समापन पावन आरती से हुआ जिसमें महिला मण्डल जगातखाना,अजय कपूर,देव राज,प्रवीण बंसल आदि ने हिस्सा लिया।