समलैंगिक विवाह के विरोध में उतरे संगठन, जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को मान्यता को लेकर लगातार संगठनों का विरोध बढ़ता जा रहा है। समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को लेकर कोर्ट के निर्णय को लोग समाज के लिए एक अभिशाप मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस निर्णय से मानवता का पतन हो जाएगा। भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं, धार्मिक सिद्धान्तों एवं सामाजिक मूल्यों को बचाने के लिए आज कई संगठनों ने एकत्र होकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया।
इस दौरान उन्होंने बताया उन्हें मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ है न्यायालय द्वारा “समलैंगिकों के विवाह” के सम्बन्ध में की जा रही सुनवाई में भारतीय सामाजिक संरचना में सदियों से केवल जैविक पुरूष एवं जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी गई है। विवाह की संस्था न केवल दो विषम लैंगिकों का मिलन है। यह मानव जाति की उन्नति एवं उत्पत्ति का आधार भी है। भारत के सभी सम्प्रदायों में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह को मान्यता दी गई है और इस पवित्र मिलन को सामाजिक संरचना के विकास का आधार माना गया है। मगर भारत के न्यायालय द्वारा भारत के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर और सामाजिक तानाबाना के विपरीत समलैंगिकों के विवाह की सनुवाई पर बहुत तत्परता से सुनवाई की जा रही है, जिससे भारत के मानवीय संरचना में बहुत ही तीक्ष्ण दुष्प्रभाव और और मानसिक उत्पीड़न अनुभव हो रहा है।