भक्ति के लिए दिल में श्रद्धा और समर्पण भाव जरूरी है : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
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पंच धूणी अग्नि तपस्या में पहुंचे श्रद्धालुओं से महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कभी दूसरे धर्म की निंदा न करें।
कुरुक्षेत्र, 4 मई : परमात्मा के प्रति आस्था एवं विश्वास से ही कड़े से कड़े तप के लिए शक्ति मिलती है। करीब दो दशकों से गर्मी के मौसम में पंच धूणी अग्नि तपस्या कर रहे महंत राजेंद्र पुरी के साथ श्रद्धालुओं की आस्था एवं भक्ति भाव देखते ही बनता है।
जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या के 9 वें दिन वीरवार को भी बड़ी सख्या में श्रद्धालु पहुंचे और अग्नि तपस्या कर रहे महंत राजेंद्र पुरी से आशीर्वाद लिया। धर्म में विश्वास रखने वाले श्रद्धालुओं को महंत राजेंद्र पुरी जी ने कहा कि सच्चे मन से पूजा अर्चना करना, मंदिर में जाना और भगवान की आरती करना हमारी संस्कृति एवं संस्कार भी हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग किसी भी मंदिर में जाते हैं तो वहां पूजा अर्चना करते हैं। हमारी वो श्रद्धा पूजा के माध्यम से भगवान तक पहुंचनी भी चाहिए। उसके लिए हमें पूजा अर्चना एवं आरती करने की विधि का पता होना चाहिए।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि सबसे अधिक दिल में श्रद्धा और समर्पण भाव की जरूरत है। हम जो भी की पूजा कर रहे हैं, हमारे दिल में ये अटूट विश्वास होना चाहिए कि हमारा अराध्य हमें देख रहा है। हमारी पूजा वहां पहुंच रही है। इसके अलावा मुख्य बात आरती की है जो थाली हम भगवान के सामने घुमाते हैं, वो सिर्फ थाली नही हमारी श्रद्धा व भक्ति का प्रसाद है।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि धर्म को मानना जरूरी है। जीवन में आगे धर्म ही नहीं तो कुछ भी नहीं है। हमें धर्म की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, अपने धर्म का इतिहास क्या है। हमारे जीवन में उसकी महता क्या है, हमारे धर्म ग्रंथ, पूजा विधि आदि की जानकारी होनी जरूरी है। इसके अलावा किसी दूसरे धर्म की निंदा न करें। सिर्फ अपने धर्म की रक्षा करें यही धर्म है।
अग्नि तपस्या करते हुए महंत राजेंद्र पुरी एवं श्रद्धालु।