ऊर्जा द्वारा ही उद्योग, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की गति को बढ़ाया जा सकता है : प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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किसी भी देश का आर्थिक विकास ऊर्जा पर आधारितः डॉ. सुरेन्द्र कुमार।
केयू के आईआईएचएस अर्थशास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ।
कुरुक्षेत्र, 4 मई : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि ऊर्जा के द्वारा ही इंडस्ट्री, स्वास्थ्य, शिक्षा सम्बंधी विकास की गति को तीव्र किया जा सकता है। हरियाणा सरकार की म्हारा गांव, जगमग गांव योजना द्वारा गांवों को शामिल कर 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। शहरों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने के लिए पहली जुलाई 2015 को कुरुक्षेत्र जिले के दयालपुर गांव से म्हारा गांव, जगमग गांव योजना की शुरुआत की गई थी।
वे गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग, इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिड एंड ऑनर्स स्टडीज तथा भारतीय सामाजिक, विज्ञान, अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के संयुक्त तत्वाधान में ग्रामीण हरियाणा में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करनाः राज्य के समावेशी विकास की संभावनाएं और अवसर विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यातिथि प्रो. सोमनाथ, अतिथि वक्ता संजीव ए शेरगिल व डॉ. प्रदीप चौहान द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि गांवों में बिजली की उपलब्धता से उद्योगों को विकसित कर गांवों को आत्मनिर्भरता की ओर उन्मुख किया जा सकता है तथा बेरोजगारी एवं गरीबी को दूर किया जा सकता है। उर्जा के द्वारा ही भारत की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने लघु उद्योगों को स्थापित करने तथा स्वदेशी उत्पाद को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से उर्जा के क्षेत्र में नई तकनीक एवं शोध करने पर जोर दिया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी से डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने ऑनलाईन जुड़कर कहा कि किसी भी देश का आर्थिक विकास उर्जा पर आधारित होता है तथा उर्जा की क्षमता को बढ़ाना वर्तमान समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के सदुपयोग द्वारा बिजली की समस्या को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में 40 प्रतिशत बिजली का उपयोग होता है इसलिए औद्योगिक क्षेत्र में 24 घंटे ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता है, लेकिन नुकसान को कम करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा का उपयोग करता है।
अतिथि वक्ता ग्रीन एनर्जी कम्पनी रीया के सीईओ संजीव ए शेरगिल ने कचरे के माध्यम से ऊर्जा और बायोडिग्रेडेबल सामग्री उत्पादन की अवधारणा पर प्रकाश डाला। उन्होंने आत्मनिर्भर होने के मूल तथ्य के बारे में बताया। भारत में 17 लाख मीट्रिक टन कचरा है जिसका उपयोग ऊर्जा के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। उनका मानना था कि गांवों के विकास से देश अपने आप विकसित हो जाएगा। उन्होंने छात्रों को देश से बाहर जाने के बजाय भारत में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया
संगोष्ठी के निदेशक व आईआईएचएस के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रदीप चौहान ने अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सामाजिक समानता के लिए सभी तक बिजली की पहुंच आवश्यक है। संगोष्ठी के लिए अब तक 150 शोध पत्र प्राप्त हुए है जिसको संगोष्ठी में प्रस्तुत किया जाएगा। मंच का संचालन डॉ. रामचन्द्र ने किया। डीन प्रोफेसर अरविंद मलिक ने सफल जीवन के तीन तरीकों को सूचीबद्ध किया।
इस मौके डीन प्रो. अरविन्द मलिक, प्रो. डीएस राणा, प्रो. संजीव गुप्ता, प्रो. अश्वनी कुश, प्रो. आरके सूदन, प्रो. कुसुमलता, प्रो. सुखविन्द्र, डॉ. पूनम, कुटा प्रधान डॉ. आनन्द कुमार, डॉ. हरिओम फुलिया, डॉ. कुसुम, डॉ रीता, विदेशी एल्युमनी डॉ. बहराम रमेश, प्रो. अमृत, डॉ. परूथी, डॉ संतोष दुबे, डॉ जिम्मी शर्मा, डॉ. अश्वनी, डॉ. राजेन्द्र, डॉ. राजेश, डॉ कुलविंदर कौर, डॉ. राजेंद्र, डॉ नितांत, डॉ अतुल सहराम डॉ. रजनी, वैभव, डॉ. रमीन, नितेश, दीपक, ममता, प्रीति सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।