श्री स्वामी प्रेमानन्द सरस्वती महाराज जी के जन्मदिन पर जीवनी विशेष 7 मई, शिवांन्द आश्रम ऋषिकेश
फ़िरोज़पुर 07 मई [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]: –
भारत अनेक संतो की भूमि है जिसमें उच्च कोटि के महान संत स्वामी प्रेमानन्द सरस्वती जिनका जन्म 7 मई 1920 में उत्तर प्रदेश के जिले बलराम पुर में हुआ, बचपन का नाम महावीर प्रसाद था, व बाल्यव्यवस्था से अधेत्मिक विचारों वाले व एकांत प्रिय थे, उन्हें प्रातः ध्यान की अवस्था में देखा गया दिव्य जीवन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी शिवांनंद सरस्वती जी से 10 अप्रैल 1956 में दीक्षा ग्रहण की। गुरुदेव शिवांन्द जी ने इन्हे अधेत्मिक ज्ञान का प्रचार विस्तार के लिए इन्हे पंजाब और अनेक प्रांतो मे भेजा, इन्होने वहाँ साधना शिविर व अखण्ड रामायण पाठ आयोजित कर अधेत्मिक मार्ग में एक क्रांति ला दी व रामायणी बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। शिवानंद आश्रम के सचिव पद पर रहते हुए परिश्रम लग्न श्रद्धा निष्ठां व कुशलता से आश्रम की व्यवस्था की संत आज भी इन्हे याद करते है, इन्होने देश विदेश में ज्ञान का प्रकाश किया, स्वामी जी 83 वर्ष की उम्र में भी उत्साह से आश्रम की सेवा करते थे। 16,18 घण्टे लगातार बगैर आराम किये कार्य करते थे। स्वामी जी 5 फरवरी 2004 मे ब्राह्मलीन हुए वह आज भी अपने भक्तों को सूक्ष्म रूप में अधेत्मिक राह दिखाते है, कल्याण करते है। भक्त उनका 103 वा जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास से विभिन्न संस्थाओं में समूचे विश्व में मनाया जा रहा है।