आधुनिक युग में रिश्तों की कीमत खत्म हो रही है : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या लगातार जारी।
कुरुक्षेत्र, 7 मई : तीर्थों की संगम स्थली धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के जग ज्योति दरबार में गर्मी के मौसम में महंत राजेंद्र पुरी की 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या लगातार जारी है। पिछले करीब दो दशकों से भीषण गर्मी में भी महंत राजेंद्र पुरी की अग्नि तपस्या के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था भी देखते ही बनती है।
जग ज्योति दरबार के भक्त राज कुमार के अनुसार दूर दराज से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अग्नि तपस्या के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। महंत राजेंद्र पुरी ने रविवार को सत्संग में श्रद्धालुओं को रामायण कथा सुनाते हुए लक्ष्मण जती और माता सुमित्रा के संवाद की चर्चा की। उन्होंने कहा कि धन्य है ऐसी माता और ऐसे भाई। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि आधुनिक युग में रिश्तों की कीमत खत्म होती जा रही है। रिश्तों में प्रेम नहीं है और संबंधों को भी मतलब के लिए रखा जाता है।
महंत राजेंद्र पुरी ने अग्नि तपस्या में आने वाले श्रद्धालुओं से कहा पहले धर्म के प्रति आस्था रखें। उन्होंने सनातन को मानने वाले धर्म प्रेमियों को माथे पर तिलक लगाने का आह्वान किया। साथ ही बताया कि माथे पर तिलक लगाना कोई सजावट का सामान नहीं है अपितु संस्कार व सम्मान की निशानी है। हमारे देश की परंपरा रही है जब भी प्राचीन समय में कोई राजा या योद्धा युद्ध के लिए घर से निकलता था, घर की वीरांगनाएं उनकी जीत की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाकर युद्ध भूमि के लिए रवाना करती थी। तिलक को मान और जीत की प्रार्थना के साथ भगवान का आशीर्वाद समझा जाता है। इसलिए हर हिंदू के लिए व हर सनातनी के लिए माथे पर तिलक लगाना जरूरी भी और सम्मानजनक भी है।
महंत राजेंद्र पुरी एवं अग्नि तपस्या करते हुए एवं श्रद्धालु।