दुनिया में मां एकमात्र ऐसी इंसान होती है जो बच्चों कभी अकेला नहीं छोड़ती : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या में याद की मां की तपस्या।
कुरुक्षेत्र, 14 मई : धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या के दौरान ही रविवार को विशेष तौर पर मातृ दिवस के अवसर पर मां की तपस्या को याद किया गया। प्रतिदिन की अग्नि तपस्या के साथ सत्संग करते हुए महंत राजेंद्र पुरी ने श्रद्धालुओं के साथ भावनाएं सांझा करते हुए कहा कि बीते दो वर्ष पहले मां स्वर्ग धाम चली गई।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि मां के बारे जितना कहा जाए उतना कम है। इंसान की मां सबसे अच्छी दोस्त होती है, क्योंकि वह हर एक चीज का ध्यान रखती है। संसार में मां का स्थान कोई नहीं ले सकता है। उन्होंने बताया कि मातृ दिवस मां का धन्यवाद और आदर देने के लिए वर्ष का यह एक दिन समर्पित किया गया है। हमलोग बिना अपनी मां के प्यार और देखभाल के नहीं रह सकते हैं।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि मां बच्चों का बहुत ध्यान रखती है। मां बहुत खुश हो जाती है जब बच्चा हँसता है। मां तब बहुत दुखी हो जाती है जब बच्चा रोता है। इस दुनिया में मां एकमात्र ऐसी इंसान होती है जो बच्चों कभी अकेला नहीं छोड़ती है। मां अपने बच्चों के लिए पूरी निष्ठावान होती है।
महंत राजेंद्र पुरी ने मां की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि जन्म लेने से उनके अंतिम पल तक मां हमें किसी छोटे बच्चे की तरह ख्याल रखती है। हम अपने जीवन में उनके योगदानों की गणना नहीं कर सकते है। यहां तक कि हम उनके सुबह से रात तक की क्रिया-कलापों की गिनती भी नहीं कर सकते हैं।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि मां के पास ढेर सारी जिम्मेदारियां होती हैं। मां उन को लगातार बिना रुके और थके निभाती है। वो एकमात्र ऐसी इंसान है जिनका काम बिना किसी तय समय और कार्य के तथा असीमित होता है। हम उनके योगदान के बदले उन्हें कुछ भी वापस नहीं कर सकते हैं। हालांकि हम उन्हें एक छोटा सा धन्यवाद कह सकते हैं। साथ ही उन्हें सम्मान देने के साथ ध्यान भी रख सकते हैं। सभी श्रद्धालुओं से अपील करते हुए महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि हमें अपनी मां को प्यार और सम्मान देना चाहिए तथा उनकी हर बात को मानना चाहिए। इस जन्म में कितना कुछ कर दे कोई भी इंसान मां का कर्ज नहीं चुका सकता है।
श्रद्धालुओं के बीच महंत राजेंद्र पुरी।