पांचवें गुरु अर्जुन देव को महंत राजेंद्र पुरी ने किया नमन।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत व गंभीर स्वभाव के थे गुरु अर्जन देव : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 23 मई : धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या में बैठे महंत राजेंद्र पूरी ने सिख धर्म के पांचवे गुरु अर्जुन देव को याद किया और नमन करते हुए उनके जीवन बारे प्रकाश डाला।
महंत राजेंद्र पुरी ने श्रद्धालुओं को बताया कि गुरु अर्जुन देव मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत व गंभीर स्वभाव के थे। उनकी शहादत सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि गुरु अर्जन देव का जन्म पंजाब के गोइंदवाल में हुआ था। उनके पिता गुरु राम दास साहिब जी और माता बीबी भानी जी थी। गुरु अर्जन देव के द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण कामों में से एक था आदि ग्रंथ का संकलन।
गुरु अर्जन देव ने कहा है कि अगर लोग सच में मन की शांति चाहते हैं तो अपनी कथनी और करनी पर अमल करो। जो कहते हो उसका अनुसरण करो। परमात्मा सब देख रहा है वो हमारे साथ है इस बात को हमेशा ध्यान में रखो। महंत राजेंद्र पुरी कहा कि धर्म चाहे कोई भी हो, जब तक हम सच्चे मन से निष्काम भाव से और सभी के कल्याण की कामना करते हुए अपने आराध्य को याद नहीं करते, तब तक भक्ति सफल नहीं होती है।
अग्नि तपस्या करते हुए महंत राजेंद्र पुरी।