गंगासमग्र की राष्ट्रीय प्रांतीय कार्यकर्ता की बैठक 19मई 2023को अहमदाबाद गुजरात में अरुण जी के संयोजन में सर्किट हाउस में हुई सम्पन्न
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : देश भर से बैठक में कार्यकर्ता एकत्र हुए। संगठन को मजबूत करने और आयामों के विस्तार पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ,राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र जी,राष्ट्रीय महामंत्री आशीष जी,राष्ट्रीय मंत्री अवधेश जी के मार्गदर्शन में गंगा के समक्ष दीप प्रज्वलित करके चिंतनमनन किया गया । आयामों में विस्तार की दृष्टि से गंगा पर्व आयाम एवं निषादराज पंचमी आयाम पर चर्चा करी गई। प्रत्येक आयाम में छह,सात प्रमुख बनाने तथा उनकी भूमिका पर चर्चा हुई। आगामी बैठक की योजना में ब्रज मेरठ,उत्तराखंड, की प्रांतीय जिलास्तरीय आयाम सह बैठक की रूपरेखा निश्चित करी गई। समापन सत्र में आशीष जी ने संचालन करते हुए कहा गंगासमग्र माँ गंगा के समग्र स्वरुप नदी,सहायक नदी,झील, झरने,कुए ,बाबडी तालाब, पोखर सभी जलस्रोत यहां तक की वर्षा के जल को भी संरक्षित करने के लिए लगातार कार्य कर रहा है,गंंगा की अविरलता के लिए समय रहते हमें चेतना होगा और आगामी पीढ़ी को पीने योग्य जल युक्त धरती सौंपनी होगी न कि जल युद्ध करती हुई धरती,इसके लिए चाहे हमें आंदोलन तक करने पडे।जल का दोहन कम करना और संरक्षण बढाना आज की हमारी प्रमुख आवश्यकता है..इसके लिए वरिष्ठ, विद्यार्थी,वैज्ञानिक, महिलाओ, बेटियों सभी को गंगासमग्र से जोड़कर कार्य करने की आवश्यकता है।
माँ गंगा अनन्त काल तक हमारे बीच रहेंऔर सम्पूर्ण जीव जन्तु माँ गंगा का सानिध्य प्राप्त कर सकें ,अत:माँ गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिए समापन सत्र में मूल मंत्र दिये गए। गंगासमग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र जी ने कहा “मानव इतिहास लिख जाता है और प्रकृति भूगोल बनाती है,मानव शरीर पंचतत्व से निर्मित है और पंचतत्व में ही उसे विलीन होना है इसलिए पंचतत्व का संरक्षण भी मानव को ही करना होगा ।गंगासमग्र का सक्षम व संकल्पबद्ध कार्यकर्ता पूरे देश में सक्रिय है और सार्थक प्रयास कर रहा है।”
गांधीनगर गुजरात की विधायक रीता बेन ने कहा की हिंदू संस्कृति में कई नदियाँ हैं परंतु गंगा का महत्व विषेश है..भगवान शिव नें गंगा मैया को अपने शीश में धारण किया और जनजीवन के कल्याण के लिए धरती पर अवतरित किया ऐसी पावन गंगा हमारा लोक परलोक दोनों ही सुधारती है उसे हम गंदा कर रहें हैं यह शर्म की बात है।हमें गंगा की अविरल धारा की रक्षा के लिए आंदोलन खड़ा करना है इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा भारतीय संस्कृति,इतिहास, ग्रंथ ,साहित्य से लेकर फिल्मी दुनिया में गंगा का अतुल्य स्थान है। गंगा को हम माँ कहते हैं,गंगा की संतान के रूप में हमारा भी दायित्व बनता हैं कि गंगा का वर्तमान में जो मार्मिक स्वरूप हमारे सामने है,उसके पुनरुद्धार के लिए चिंतन मनन बैठक और जन समुदाय के जागरण का कार्य गंगासमग्र को लगातार करना पड रहा है। हम पीने योग्य जल धरती की छाती से ही ले रहें हैं ,किसी भी शहर की जल आपूर्ति का स्रोत वहाँ की सहायक नदियाँ तालाब आदि हैं पर शहर कंक्रीट से पट चुके है बर्षा के जल के नदी तालाब तक आने के कच्चे रास्ते बंद हो गयें हैं।हमें सहायक नदियों,तालाबों,नदियों को बचाने केलिए अगुआई करनी पड़ेगी ईश्वर को भी हमारे साथ आना ही पड़ेगा, गंगा जीवित देवी हैं गंगा ने हमको अपनी सेवा के लिए चुना है।उनकी सेवा करने से हमास स्वार्थ और परमार्थ दोनों ही पूर्ण होंगें।
ब्रज प्रांत से इस बैठक में प्रांतीय संयोजक राधाकृष्ण दीक्षित जी,संरक्षक स्वामी पगलानंद जी,सहसंयोजक रविशरण सिंह, सहसंयोजक सीमाचौहान, अर्चना चौहान ममता दीक्षित, धनिष्का सिंह एवं ब्रज प्रांत के संगठन मंत्री दिनेश जी तथा विजय जी ने अहमदाबादगुजरातमें सहभागिता करी।