कलयुग अपने चरम पर जा पहुंचा, रिश्ते-नाते, मित्रता और आपसी भाई चारा सब मतलब के रह गए : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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बच्चों को भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के साथ राष्ट्रीयता के बारे में अवगत करवाना : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 26 मई : तीर्थों की संगम स्थली के जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या में महंत राजेंद्र पुरी ने देश के स्वतंत्रता संग्राम पर चर्चा करते हुए कहा कि देश को आजादी अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत से मिली है। झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई सहित अन्य वीरों को नमन किया।
महंत राजेंद्र पुरी ने शुक्रवार सत्संग में कहा कि कलयुग अपने चरम पर जा पहुंचा है। रिश्ते-नाते, मित्रता और आपसी भाई चारा सब सिर्फ मतलब के नाते रह गए हैं। समाज में इस कदर गंदगी फैल गई है कि अपने घर के कार्यक्रमों या इच्छा अनुसार आपसी प्रेम प्यार के चलते किसी को भी बुलाने के लिए सोचना पड़ता है। कुछ रिश्ते तो हमारी छोटे परिवार की सोच को वजह से वैसे ही खत्म होते जा रहे हैं। ऐसे में धर्म का भाई या धर्म की बहन बनाने जैसी बातें अब इतिहास बनकर रह कर गई हैं।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि अब मां बाप की जिम्मेवारी ज्यादा बढ़ती जा रही है, उन्हें अपने बच्चों को शिक्षा के साथ साथ धर्म का ज्ञान देना जरूरी हो गया है। बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिताने का समय आ गया है। बेटियों को खासकर धर्म की शिक्षा देना, देश की आजादी की बातें बताना, स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली वीरांगनाओं की कथा सुनना, उन्हें अंदर से मजबूत बनाना इत्यादि को अपना दायित्व समझना होगा।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि आज बच्चों को भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के साथ राष्ट्रीयता के बारे में अवगत करवाना होगा। बच्चे संस्कृति एवं संस्कारों से अवगत होंगे तो अपनी जिम्मेवारी को भी बेहतरी से समझेंगे।
अग्नि तपस्या करते हुए महंत राजेंद्र पुरी।