डॉ. सी.डी.एस. कौशल को हरियाणा सरकार द्वारा साहित्य एवं संस्कृति प्रकोष्ठ का निदेशक नियुक्त किए जाने पर किया अभिनंदन।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में ‘डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा स्मृति ग्रन्थ’ सम्पादक मंडल की बैठक आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 25 नवम्बर : विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में ‘समाज गौरव डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा स्मृति ग्रन्थ’ सम्पादक मंडल की बैठक हुई, जिसमें संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह एवं सम्पादक मंडल के अन्य सदस्यों ने डॉ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल को हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृति प्रकोष्ठ का निदेशक नियुक्त किए जाने पर उनका अभिनंदन किया गया। बैठक में संपादक मंडल के सदस्यों में डॉ. मोहित गुप्ता, संतराम, श्री मुकेश, जयपाल मलिक, प्रेमनारायण शुक्ला सहित संस्थान के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने सभी सदस्यों का परिचय कराते हुए बताया कि सभी सदस्यों द्वारा डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा स्मृति ग्रंथ का गहन अध्ययन एवं त्रुटिरहित कर प्रकाशित करवाया जाएगा। डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कहा कि डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा निश्छल मन, संकल्प के धनी एवं अत्यन्त स्वाभिमानी थे। संवेदनशीलता उनके स्वभाव में रची-बसी थी। इस स्मृति ग्रन्थ में अनेक महानुभावों ने डॉ. सिन्हा जी के साथ बिताए अपने अनुभव की अपनी प्रेरणादायक बातें साझा की हैं। निश्चित ही यह स्मृति ग्रन्थ जनमानस के समक्ष प्रेरणा पुंज बनकर प्रस्तुत होगा।
हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति प्रकोष्ठ का निदेशक नियुक्त किए जाने पर विचार व्यक्त करते हुए डॉ. सी.डी.एस. कौशल ने कहा कि वे विद्या भारती के विद्यालयों से ही पढ़े हैं। उनके अध्यापक विद्या के दीवाने थे। उन्होंने अपने विद्यार्थीकाल में यही सीखा कि जो ऊर्जा, निष्ठा एवं आत्मशक्ति प्राप्त की है, उसे राष्ट्र एवं समाज के लिए समर्पित करना। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में विराट स्वरूप के पाठ का विशेष महत्व है। यही कारण है कि यहां का विद्यार्थी ऊर्जावान होता है। अध्यापक हमें गीता का मर्म बताते थे। संस्कृति जगत से जुड़कर वे यहां तक पहुंचे हैं। शुभ कर्म किए हैं तो उनका फल अवश्य मिलता है। संस्कृत, वेद, गीता में सब जगह यही भाव हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहचान अध्यात्म है। धर्म पर दृढ़ आस्था है। इस भाव को संस्कृति प्रकोष्ठ का निदेशक बनने के बाद इसके प्रचार-प्रसार का अब अवसर मिला है, जिसे वे पूर्ण निष्ठा से निभाएंगे। डॉ. मोहित गुप्ता ने कहा कि श्री कौशल जी अब उस पद पर हैं जहां से ऊर्जा अपने आप संचालित होती जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस आत्मीयता से स्मृति ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है, उससे आभास होता है कि ग्रंथ त्रुटि रहित होगा। ग्रंथ के विषय में संपादक मंडल की जब भी बैठक होती है तो एक प्रेरणा मिलती है कि क्यों न यह भी कर दिया जाए। इस अवसर पर जयपाल मलिक ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति प्रकोष्ठ का निदेशक नियुक्त किए जाने पर डॉ. सी.डी.एस. कौशल का अभिनंदन करते संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह।