स्मार्ट सिटी के नगर क्षेत्र खलीलपुर रोड़ स्थित मरघट वाली गली में अवैध ओवर लोड़ मिट्टी खनन की ट्रैक्टर – ट्रालियों ने तोड़ी पुलिया , निगम प्रशासन अंजान
दीपक शर्मा (संवाददाता)
सीबीगंज : कहने के लिए तो बरेली स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हो गई है। लेकिन स्मार्टनेस कहते किसे हैं, यह सीबीगंज क्षेत्रवासियों को अभी तक पता ही नहीं है। जनपद के अधिकारियों को शायद मालूम नहीं या ये कहें, कि उनके द्वारा सीबीगंज गंज क्षेत्र जो लिखा पढ़ी में खलीलपुर के नाम से जाना जाता है की अनदेखी की जा रही है तो गलत नही होगा। अपने सारी सुविधाओं से लैस ऑफिस में बैठे हुए अधिकारियों के लिए पत्रावली ही सब कुछ नजर आती है। जब पत्रावली पर ही स्मार्टनेस दिखानी हो तो क्षेत्र में देखने की बात ही कहां से आ गई। कागजों में तो सब सही ही दिखाई दे रहा है। शायद इसलिए अधिकारी उन क्षेत्रों को देखना भी नही चाहते, जहां पर सड़के नालियों से जुड़े कार्य की सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर आपने भी कागजी स्मार्ट सिटी नहीं देखी हो, तो एक बार बरेली नगर निगम के वार्ड 22 में जरूर आकर देखें, यहां पर आपको स्मार्ट सिटी के सारे पैमाने हवा में ही नजर आएंगे। और कागजी स्मार्ट सिटी के दीदार भी हो जायेंगे। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि स्मार्टनेस होती क्या है, वार्ड 22 खलीलपुर के लोग ही आपको बेहतर बता सकते हैं। जहां पर स्मार्ट सिटी के नाम पर न ही सड़के दिख रही है, और न ही नाली। अगर ये कहें कि सड़क और नाली एक हो चुकी है तो कोई आचार्य की बात नहीं होगी। बरेली नगर निगम का वार्ड 22 खलीलपुर वह जगह है, जहां के बारे में शहर विधायक व वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार लगभग हर छोटे बड़े कार्यक्रम में शिरकत करते रहते हैं और सीबीगंज को अपनी ननिहाल बताते हैं। शहर विधायक की ननिहाल का जब ये हाल है तब अन्य वार्डों का क्या हाल होगा, आप खुद ही समझ सकतें हैं । सबसे मजे की बात तो ये है कि इस टूटी हुई सड़क और गोबर से लवालब भरी हुई नालियों के पास ही पूर्व पार्षद का और मौजूद पार्षद का भी मकान है। आश्चर्य की बात यह है कि इस गंदगी भरे मार्ग से रोजाना ही लोग निकलने को मजबूर हैं, और बीमारियों को बुलावा देने वाली इन गंदी नालियों से निजात पाने के लिए प्रशासन में बैठे अधिकारियों की कार्य योजना का इंतजार कर रहे हैं। क्षेत्रवासी बताते हैं कि वह अलग-अलग स्तर पर अपनी समस्या भी रख चुके हैं, बावजूद इसके अभी तक विकास की कोई भी कार्य योजना न तो सामने आई है, और न ही विकास हो पाया है। क्षेत्रवासियों का तो यंहा तक कहना है कि यह गंदगी खास तौर से खलीलपुर क्षेत्र में बनी हुई डेरियों की वजह से है। इन डेरियों के संचालकों के खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो डेरी संचालक उससे लड़ने के लिए उतारू हो जाते हैं। इस मामले पर सीबीगंज क्षेत्र के खलीलपुर मोहल्ले के रहने वाले मुकेश बाबू वाल्मीकि बताते हैं कि लोग स्मार्ट सिटी के दौर में खलीलपुर में नरक की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। अगर इसी को स्मार्ट सिटी कहते हैं तो हमारे क्षेत्र को स्मार्ट सिटी से हटा देना ही बेहतर होगा। क्योंकि सामान्य शहरों में जितना विकास हो रहा है हमारे यहां उसका 10% भी दिखाई नहीं देता। वहीं क्षेत्रवासी धीरेंद्र गंगवार का कहना है कि सीबीगंज क्षेत्र नगर निगम की अनदेखी का शिकार हो रहा है। मूल रूप से सीबीगंज को खलीलपुर के नाम से ही जाना जाता है, और सीबीगंज में खलीलपुर की इस दुर्दशा का जिम्मेदार नगर निगम ही है। यदि नगर निगम की टीम के द्वारा सही समय पर अपना काम किया जाए और डेयरी संचालकों से गोबर इत्यादि की व्यवस्था सही ढंग से कराई जाए और डेयरी संचालकों द्वारा गोबर इत्यादि की व्यवस्था न करने वालों पर कार्यवाही की जाए, तो हालत में कुछ सुधार लाया जा सकता है। वहीं प्रशासन में बैठे अधिकारियों को जल्द से जल्द कार्य योजना बनाकर सड़क और नाली की व्यवस्था भी करनी चाहिए। जिससे बरेली के साथ वार्ड 22 खलीलपुर भी स्मार्ट बन सके। वहीं गतदिवस रविवार को खलीलपुर रोड़ स्थित मरघट बाली गली में दो प्लाटों पर पटान कर रही अवैध ओवर लोड़ मिट्टी खनन की ट्रैक्टर – ट्रालियों ने गली में सड़क से सुनसान भूमि को जाने बाली सड़क के नाली के ऊपर बनी नगर निगम की पुलिया को तोड़ दिया गया है।जिसका स्थानीय गली मोहल्लों वालों ने विरोध किया तो प्लांट मालिक भी पहुंच गए तथा खनन कर ला रही ट्रैक्टर-ट्राली मौके से भागने में कामयाब रही।अब देखना है कि नगर- निगम प्रशासन, खनन विभाग तथा आरटीओ व थाना पुलिस इन ओवर लोड़ मिट्टी खनन की लापरवाही दौड़ रही है इनके खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं या फिर ऐसे ही खनन माफिया इन नगर निगम द्वारा बनाई गई पुलिया को तोडते रहेंगे। और सरकार का लाखों रुपए का नुक़सान करते रहेंगे।जिसको लेकर क्षेत्रीय जनता में जिले के आलाधिकारियों के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है।